भारत में भले ही मनरेगा के बजट में कटौती और इसे कमजोर करने की कोशिशों पर बहस छिड़ी है लेकिन वर्ल्ड बैंक ने इसे विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक निर्माण योजना माना है।
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के मुस्लिम समुदाय से संबंधित एक अहम फैसला दिया है। इस फैसले के तहत राज्य के तमाम मदरसों और इस्लामी शिक्षा देने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है। सरकार ने उन शिक्षण संस्थानों की मान्यता भी रद्द कर दी है जो विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान की शिक्षा नहीं दे रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड़ रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है।
मराठी मानुष की राजनीति करने वाली शिवसेना कल अपनी 50वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। वर्ष 1966 में बाल ठाकरे की सोच और बुलंद इरादों के साथ अस्तित्व में आई शिवसेना आज महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ी ताकत है।
बंबई हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ धन शोधन और जमीन कब्जाने के आरोपों में जांच के लिए राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दो महीने के भीतर जांच पूरी करके रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देेते हुए गुरुवार को कहा कि ब्यूरो पहले ही छह महीने से अधिक समय ले चुका है।
काले धन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख पर गहरी निराशा जताते हुए पूर्व कानून मंत्री एवं अग्रणी वकील राम जेठमलानी ने अमेरिका से आग्रह किया है कि विदेशों में छिपाए गए काले धन को वापस लाने में वह भारत की मदद करे।
महाराष्ट्र के पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री छगन भुजबल पर प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा बढ़ता जा रहा है। बुधवार को ईडी ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में दो शिकायत दर्ज की हैं। इससे पहले मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भुगबल के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी।
दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?