एक ओर जहां किसान कृषि उत्पादों का उचित दाम नहीं मिल पाने की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अब इसकी बानगी आंकड़ों में भी दिखाई देने लगीं हैं। मई माह में महंगाई दर 3.85 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.17 फीसदी हो गई है। इस दौरान खाद्य एवं कृषि उत्पादों की महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जीएसटी दरों को कम करने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरें ज्यादा होने से देश में महंगाई और इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा।
बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर दोहरी मार पड़ी। फरवरी में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है और मार्च में खुदरा महंगाई यानी रिटेल इंफ्लेशन में बढ़ोतरी हुई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुए डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाए जाने की आवश्यकता पर आज बल दिया। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का जो अस्थायी प्रतिकूल असर था वह काफी हद तक कमजोर पड़ चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार महंगाई पर काबू पाने में सफल रही है जो कि 2014 में नियंत्रण से बाहर हो गई थी। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान किसी भी राजनीतिक दल ने महंगाई का मुद्दा नहीं उठाया।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपेक्षाकृत निम्न मुद्रास्फीति दर, राजकोषीय अनुशासन तथा व्यापक रूप से स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के साथ मामूली चालू खाता घाटे के साथ एक सूक्ष्म आर्थिक वातावरण बनाए रखा है। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आज संसद में प्रस्तुत आर्थिक समीक्षा 2016-17 में कहा गया है कि वर्तमान में जारी वैश्विक मंदी के बावजूद यह मजबूती बनी रही है। आर्थिक समीक्षा की कुछ खास बातें इस प्रकार की हैं।
देश में हैदराबाद सबसे किफायती शहर है। इसके बाद कम खर्च के मामले में इंदौर देश का दूसरा सबसे किफायती शहर है। निवेश के मामले में जयपुर सबसे पसंदीदा और प्रॉपर्टी खरीदने में अहमदाबाद सुविधाजनक है। मुंबई में खुद का घर खरीदना या किराये पर लेना सबसे महंगा और दिल्ली-एनसीआर दूसरा सबसे महंगा शहर है।
केंद्र के नोटबंदी के कदम पर हमलावर होते हुए शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि इससे वास्तविक काला धन तो बाहर नहीं आया बल्कि सरकार भूख, महंगाई और बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने में कामयाब जरूर हो गई।
अगले साल एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने की दिशा में एक बड़ी बाधा आज दूर हो गई। जीएसटी परिषद ने जीएसटी के लिये 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार स्तरीय कर ढांचे को आज मंजूरी दे दी। इसमें खाद्यान्न जैसी आवश्यक वस्तुओं को शून्य कर दायरे में रखा गया है जबकि सामान्य उपभोग की ज्यादातर वस्तुओं पर पांच प्रतिशत कर लगाया जायेगा। इससे महंगाई को कम रखने में मदद मिलेगी। इसके विपरीत आलीशान कारों, तंबाकू, पान मसाला, पेय पदार्थों जैसी गैर-जरूरी वस्तुओं पर सबसे ऊंची दर से जीएसटी लगेगा। इन पर अतिरिक्त उपकर और स्वच्छ उर्जा उपकर भी लगेगा जिससे कुल मिलाकर इन पर कर की दर मौजूदा स्तर पर ही रहेगी।