एक बुजुर्ग पिता पिछले आठ महीनों से रक्षा मंत्रालय, सेना मुख्यालय के चक्कर काट रहा है। जिंदगी भर पूरे दमखम से सत्ता प्रतिष्ठानों से लड़ने-भिड़ने का रसूख रखने वाले सांवलराम यादव ने प्रण किया है कि वह युद्ध में हताहत हुए अपने बेटे को शहीद का दर्जा दिलवाए बिना चैन से नहीं बैठेंगे। मामला सिर्फ एक जवान की मौत का नहीं है। इससे जुड़ा हुआ है, उन सैकड़ों जवानों की मौत का मसला जो सियाचिन से लेकर दुर्गम सीमा पर देश के लिए अत्यंत विषम परिस्थितियों में जान गंवा देते हैं। इन जवानों की मौत को आखिरकार शहीद का दर्जा क्यों नहीं मिलता?
पिछले दो दिनों से भारतीय सेना की ऐतिहासिक कार्रवाई पर अपनी पीठ थपथपा रही केंद्र सरकार की खुशियों पर म्यांमार ने पानी फेर दिया है। म्यांमार के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में इस बात का खंडन किया गया है कि भारतीय सेना ने उसकी सरजमीं पर कोई कार्रवाई करते हुए उग्रवादियों को ढेर किया है। म्यांमार सरकार का यह भी दावा है कि उसकी सेना ने भारतीय सेना को किसी तरह की मदद नहीं की है।
केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सहमति बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर किसान नेताओं से मुलाकात की। किसान संगठनों ने भू-स्वामियों की मर्जी के खिलाफ जमीन न लेने और देश में आजादी के बाद हुए भूमि अधिग्रहण पर श्वेत-पत्र जारी करने की मांग उठाई है।
बांग्लादेश के साथ हुए ऐतिहासिक जमीन सीमा समझौते से 41 साल पुराना विवाद हल होने की उम्मीद है। इससे बांग्लादेश को करीब 10 हजार एकड़ जमीन का फायदा होगा जबकि भारत को सिर्फ 500 एकड़ अतिरिक्त जमीन मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश की पहली यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश ने ऐतिहासिक समझौते पर मुहर लगाई जिससे कुछ क्षेत्रों के आदान-प्रदान के जरिये 41 वर्ष पुराने भूमि सीमा विवाद का निपटारा हो सकेगा और द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण अड़़चन दूर हो सकेगी।
दो दिवसीय दौरे के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंचे। एयरपोर्ट पर उन्हें लेने के लिए बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना खुद पहुंचीं। एयरपोर्ट पर ही प्रधानमंत्री मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री की इस यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारे को छो़ड़कर अन्य कई महत्वपूर्ण समझौतों को हरी झंडी मिलने की उम्मीद है।
देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के स्पष्ट करने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि इस बार तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे पर कोई समझौता नहीं होगा। इस पर किसी भी तरह की बातचीत करने से इनकार कर दिया।
दिल्ली में 77 साल का एक बुजुर्ग 37 साल ली गई जमीन के मुआवजे के लिए भटक रहा है। मुआवजा तो दूर उसे इसकी जानकारी हासिल करने के लिए भी केंद्रीय सूचना आयोग से गुहार लगानी पड़ी।