चर्चाः केसरिया ‘नीति’ की कछुआ चाल | आलोक मेहता
‘योजना भवन’ की दीवार पोतकर ‘नीति आयोग’ का बोर्ड लगाने की पहली वर्षगांठ पर रोशनी और धूमधाम की तैयारी नहीं हो रही है। ‘नीति सम्राट’ आयोग के कामकाज और अब तक की ढिलाई से अप्रसन्न हैं। नवगठित आयोग में मुख्यमंत्रियों के उपसमूहों की रिपोर्ट अवश्य बनती गई, लेकिन अफसरों-बाबुओं ने पूरे एक वर्ष में केवल एक रिपोर्ट सरकार को दी। अब एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी अमिताभ कांति को मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है, ताकि पूंजी निवेश और वितरण की योजना एवं व्यवस्था को पश्चिमी देशों की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सके।