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मथुरा में खराब कुल्फी खाने से तकरीबन 50 बच्चे बीमार

मथुरा में खराब कुल्फी खाने से तकरीबन 50 बच्चे बीमार

उत्तर प्रदेश के मथुरा में रविवार को फेरी वाले की कुल्फी खाकर तकरीबन 50 बच्चे बीमार पड़ गए और उल्टी व दस्त की शिकायत होने पर पास के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया।
अमित शाह ने किया चुनाव से पहले गंगा-यमुना सफाई का वादा

अमित शाह ने किया चुनाव से पहले गंगा-यमुना सफाई का वादा

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आज मथुरा में एक धार्मिक कार्यक्रम में वादा किया कि अगले चुनाव से पूर्व जब वह जन समर्थन जुटाने के लिए आएंगे, तब तक यमुना प्रदूषणमुक्त हो चुकी होगी।
चर्चाः ड्रीम गर्ल की ‘ड्रीम जमीन’ | आलोक मेहता

चर्चाः ड्रीम गर्ल की ‘ड्रीम जमीन’ | आलोक मेहता

सपनों की रानी के भी सपने हो सकते हैं। सपनों में महल, चांद-सूरज, कोहिनूर हीरे सहित स्वर्ण माला, हाथी, घोड़े-पालकी, दरबार, संगीत-नृत्य होना स्वाभाविक है। आधुनिक भारत में रूपहले पर्दे की सफल अभिनेत्री हेमा मालिनी किसी भी पूर्ववर्ती महारानियों से अधिक लोकप्रिय रही हैं। अभिनय के साथ मंच पर भी हेमा मालिनी की नृत्य-नाटिका आज भी लोगों के मुग्ध करती हैं।
एक छात्र के पास 160 पासपोर्ट

एक छात्र के पास 160 पासपोर्ट

उत्तर प्रदेश के मथुरा में पुलिस ने प्रबंधन कॉलेज के एक छात्र के पास से खाड़ी देशों के लोगों के लिए बनाए गए 160 जाली पासपोर्ट के साथ-साथ नकली कागजात बनाने वाले लैपटॉप, रबड़ स्टांप, एक लैंडलाइन और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। खुफिया एजेंसियां इस छात्र से पूछताछ में जुटी हैं। वे खासतौर पर उसके खाड़ी एवं अन्य देशों से संबंध जानने की कोशिश कर रही हैं। पकड़ा गया छात्र बिहार के गोपालगंज का रहने वाला है।
बांके बिहारी के बजाय अफसरों की सेवा

बांके बिहारी के बजाय अफसरों की सेवा

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर की प्रबंध समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और 75 अन्य अधिकारियों को मंदिर प्रांगण में भोजन कराने के मामले में मंदिर के पुजारियों पर साढ़े सात लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
जिन्‍होंने देश काे लूटा, उनके अच्‍छे दिन नहीं: मोदी

जिन्‍होंने देश काे लूटा, उनके अच्‍छे दिन नहीं: मोदी

अपने एक साल के काम का हिसाब देते हुए नरेंद्र मोदी ने काहा कि जिन्‍होंने देश को लूटा है, जिनके बुरे दिन आए हैं, वही हल्ला कर रहे हैं। उनकी सरकार ने 365 दिनों में इतने काम किए हैं कि गिनाने जाएं तो 365 घंटे भी कम पड़ जाएंगे।
नष्ट फसल, विनष्ट किसान

नष्ट फसल, विनष्ट किसान

जिस समय ये पंक्तियां लिखी जा रही थीं या पढ़ी जा रही होंगी, उस समय भी उत्तर भारत में बुरी तरह मायूस कोई किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा होगा। अन्नदाता की हालत बुरी है, यह हम सब जानते हैं लेकिन उसकी जीवन की डोर काटने के लिए सिर्फ एक फसल की बर्बादी बहुत है।
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