नेट न्यूटेलिटी के सवाल पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध रखी है। संसद में इस पर तीखी बहस चलाने की तैयारी में हैं कई सांसद। जल्द ही केंद्रीय सूचना एंव प्रौद्योगिकी त्री रविशंकर प्रसाद को ज्ञापन सौंपने की तैयारी चल रही है। आउटलुक को मिली जानकारी के मुताबिक नेट न्यूट्रेलिटी के सवाल पर कई पार्टियों के सांसद साथ आ रहे हैं। जरूरत पड़ने पर वे प्रधानमंत्री से मिलने की तैयारी में हैं।
सीताराम येचुरी भारतीय वामपंथी आंदोलन के एक जाने-माने चेहरा हैं। हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, बांग्ला भाषा में मजबूत पकड़ रखने के साथ एक-दो और भाषाओं के ज्ञाता है 62 वर्षीय येचुरी। मिलनसार स्वभाव वाले इस मृदुभाषी वाम नेता के कंधों पर भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की गहरे संकट में फंसी नाव को निकालने की जिम्मेदारी है।
किताबों की हमारे जीवन में उपस्थिति और उसके महत्व को रेखांकित करते हुए साहित्य अकादेमी ने ‘साहित्य मंच’ के अंतर्गत विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े महत्त्वपूर्ण लोगों ने किताबों से अपने रिश्तों को श्रोताओं से साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसार भारती के सीईओ श्री जवाहर सरकार ने की।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को एक डूबते जहाज का कप्तान बताते हुए शिवसेना ने मंगवार को कहा कि वाम दल देश में अपनी प्रासंगिकता खो बैठा है और इसमें एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उठ खड़े होने की हिम्मत नहीं है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इतिहास में पहली बार ऐसा व्यक्ति महासचिव बना है जो सांसद भी है। भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में भी यह पहली परिघटना है। माकपा के नए महासचिव सीताराम येचूरी राज्यसभा सांसद हैं और संसद के भीतर वाम स्वर को उठाने वाले एक परिचित चेहरे हैं। अब येचूरी और माकपा के सामने यह दुविधा है कि सांसद बना रहा जाए या यह पद छोड़ दिया जाए।
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी को पार्टी के नये महासचिव के तौर पर सर्वसम्मति से चुन लिया गया। पार्टी ने अपने 21 वें सम्मेलन के समापन के मौके पर आज अपनी केंद्रीय कमेटी के 91 सदस्यों और 16 सदस्यीय पोलित ब्यूरो को भी चुना।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की कमान सीताराम येचूरी के हाथों में आने के कई निहितार्थ हैं। सबसे पहला एजेंडा भाकपा के साथ विलय का संभावना पर विचार करना है। भाकपा का एक धड़ा लंबे समय से यह चाह रहा है, येचूरी ने इस ओर इशारा भी किया है। संकट के दौर में वाम दलों का एका एक लोकप्परिय समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।