अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस पावर ने बिजली की तंगी से जूझ रहे बांग्लादेश में एक मेगा विद्युत संयंत्र और फ्लोटिंग एलएनजी आयात टर्मिनल लगाने के लिए 3 अरब डालर के निवेश समझौते पर आज हस्ताक्षर किए।
केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के एक साल पूरे होने पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली सरकार के एक साल के लेखे-जोखे के साथ शुक्रवार को मीडिया के सामने आए। वैसे लोगों को उम्मीद थी कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर सामने आएंगे मगर ऐसा नहीं हुआ। जेटली ने पहले सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और फिर पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।
हरियाणा के नए उपनगरीय इलाकों सोनीपत और पानीपत को केंद्र की 100 स्मार्ट शहर बनाने की महत्वाकांक्षी परियोजना में शामिल करने से इस क्षेत्र में करीब 200-300 करोड़ रुपए का नया निवेश आकर्षित करने में मदद मिल सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत में दोनों देशों के संबंधों में समस्या पैदा करने वाले मसलों को भी उठाया। इस दौरान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की ओर से बड़े पैमान पर निवेश पर उन्होंने चिंता जताई जबकि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने के संदर्भ में वीजा मसले पर ठोस प्रगति की उम्मीद चाही।
भारत में कभी भी किसी प्रधानमंत्री ने अपनी पहली पारी में ही इतने कम समय में इतने अधिक देशों का दौरा नहीं किया जितना नरेंद्र मोदी ने पिछली मई से अब तक एक साल के वक्त में किया है। पूरी दुनिया के अपने दौरों में मोदी ने सभी बड़े नेताओं के सामने भारत को निवेश के लिहाज से आकर्षक जगह के रूप में पेश किया मगर इन सभी नेताओं से बातचीत में एक विषय जरूर उठा और वह ये कि हठधर्मी चीन से कैसे निपटा जाए।
बंद होने की चुनौती से जुझ रही ग्रीनपीस इंडिया के पास अपने अस्तित्व को बचाने के लिये सिर्फ एक महीना है। संस्था के पास अपने कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के लिये सिर्फ महीने भर का पैसा बचा है। गृह मंत्रालय की कार्रवाई को ‘चुपके से गला घोंटने’ जैसा बताते हुए ग्रीनपीस इंडिया ने मंत्रालय को चुनौती दी है कि वो मनमाने तरीके से दंड लगाना बंद करे और इस बात को स्वीकार करे कि वो ग्रीनपीस इंडिया को उसके सफल आंदोलनों की वजह से बंद करना चाह रहा है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने और कोरपोरेट को करों में भारी छूट देने वाली मोदी सरकार की नीतियां कामयाब नहीं होंगी क्योंकि इससे उत्पादन क्षमता पैदा नहीं होगी और लोगों के पास क्रय शक्ति नहीं है।