ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने दिल्ली के बड़े होटल में अपनी शादी का रिसेप्शन दिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं के अलावा क्रिकेटर और बालीवुड सेलीब्रिटीज भी पहुंचे। हरभजन के रिसेप्शन का आकर्षण प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी रही जो आयोजन स्थल में और इसके आसपास कड़ी सुरक्षा के बीच कार्यक्रम में पहुंचे।
मैं अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिए जाने वाले स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार, 2015 से पुरस्कृत किए जाने को लेकर रोमांचित हूं। मैं इसे लेकर ज्यादा रोमांचित हूं कि नोबेल समिति ने भारत पर किए गए मेरे और मेरे सहयोगियों के कार्य को रेखांकित किया है।
सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
बीसीसीआई ने सलाहकार समिति के सुझावों के आधार पर रवि शास्त्री को भारत में अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप तक भारतीय क्रिकेट टीम का निदेशक बरकरार रखा है।
हिंदी पखबाड़ा के अवसर पर आयोजित मोज़िला हिंदी कार्यशाला और समीक्षा बैठक एक प्रासंगिक आयोजन रहा। मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स हिंदी कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक का आयोजन मोजिला की ओर 5-6 सितंबर को दिल्ली में किया गया। इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न शहरों से लोग आए और कार्यक्रम में शिरकत की। सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे करीब 25 जाने-माने लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम की मेजबानी सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसायटी, दिल्ली ने की।
5 सितंबर, 1971, जबलपुर (म.प्र) में जन्म। ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रीय। बीते दस बरस में दो कहानी संग्रहः आईने सपने और वसंत सेना। यूं ना होता तो क्या होता। पिछले साल आया उपन्यास दलाल की बीवी काफी चर्चित रहा। गुजरे डेढ़ दशक से लगातार फिल्म समीक्षाएं, विवेचन और अध्ययन। मुंबई में निवास। प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक अमर उजाला के मुंबई ब्यूरो प्रमुख।
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आई एम) के साथ शांति समझौता अशांत उत्तर पूर्व के, खासकर मणिपुर के टंखुल नगा बहुल इलाके में जहां उपरोक्त गुट का आधार है, एक हिस्से में शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसके बाद अभी बहुत-सी जटिलताएं और चुनौतियां बाकी हैं। एनएससीएन (आईएम) का जनाधार नगालैंड के पड़ाेसी राज्यों में ज्यादा होने की वजह से असम और मणिपुर के एक तबके में यह आशंका बलवती हो रही है कि उनके राज्य के नगा बहुल इलाकों की बाबत किस कीमत पर फैसला हुआ है।