भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वारा ब्याज दरों में कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को न देने के लिए बैंकों की आलोचना किए जाने के बाद मंगलवार को देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने ऋण पर ब्याज दर में 0.15 प्रतिशत कटौती की घोषणा कर दी। एसबीआई द्वारा यह कदम उठाए जाने के कुछ ही देर बाद निजी क्षेत्र के दो बड़े बैंकों आईसीआईसीआई और एचडीएफसी ने अपने दरों में कटौती कर दी। एचडीएफसी ने जहां एसबीआई के बराबर .15 फीसदी की कटौती की वहीं आईसीआईसी बैंक ने आधार दर में .25 फीसदी की कमी की। अब एचडीएफसी बैंक की आधार दर 9.85 फीसदी हो जाएगी वहीं आईसीआईसीआई बैंक की आधार दर 9.75 फीसदी रहेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया। वह देखना चाहते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति पर हाल की बेमौसम बारिश का क्या असर रहता है। साथ ही वह यह भी चाहते हैं कि रेपो दर में पिछली कटौतियों का फायदा बैंक उपभोक्ताओं को दें।
पिछले कुछ समय से मीडिया में ऐसी खबरें चल रही थीं कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और केंद्र सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है और सरकार नीतिगत दरों में अपेक्षा अनुरूप कटौती नहीं होने के कारण राजन से नाराज है जबकि राजन रिजर्व बैंक की स्वायत्ता में सरकार के हस्तक्षेप के कारण खिन्न हैं।
सीबीआई ने गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (वित्त) के. वी. मोहनन और मुंबई की कानूनी फर्म चितले एंड एसोसिएट्स के राजेन्द्र चितले दस्तावेज लीक मामले में संदिग्ध हैं।
रमणिका फाउंडेसन का सम्मान समारोह हाशिए के शब्दों को रेखांकित करने और पूरी शक्ति के साथ उनके समर्थन में खड़े होने के अपने संकल्प की ओर बढ़या गया एक ठोस और सार्थक कदम है
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र ने कहा है कि किरण बेदी को नेता के तौर पर पेश किए जाने से दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ और पार्टी अब अन्य राज्यों में पैराशूट नेताओं के कारण पैदा होने वाली स्थिति से निपटने के लिये ठोस रणनीति बना रही है।
देश का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर गिरा है। सालाना आधार पर तुलना करें तो इस साल जनवरी में यह 11.19 प्रतिशत गिरकर 23.88 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि सस्ते तेल के आयात के कारण व्यापार घाटा थोड़ा सुधरा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को इससे गहरा झटका लग सकता है।
भारतीय संविधान के तहत उपलब्ध न्यायिक सुनवाई के अधिकार और संस्थाबद्ध प्रणालियों में त्वरित न्याययिक सुनवाई के अधिकार की ज्यादा गुंजाइश नहीं बनाई गई है, यह हाल में 40 साल बाद ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में आए फैसले से साबित है।