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Search Result : "रुद्राक्ष सेंटर"

ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

आज भी लाखों-करोड़ों लोग गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, इस बात को स्वीकार करते हुए और लोगों में इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इंग्लैंड 18 अक्टूबर के दिन को दासता विरोधी दिवस के तौर पर मनाता है। इस साल इसमें मुख्य एजेंडा आधुनिक दासता और मानव तस्करी को खत्म करना था। वाक फ्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व के सबसे ज्यादा बधुआ मजदूर हैं और भारत के ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है। भारत को भी अपने तमाम पारंपरिक और आधुनिक गुलामी के तरीकों के विरुद्ध एक दिन समर्पित करना चाहिए।
नए अंदाज में आगाज

नए अंदाज में आगाज

सफलता नए विचारों से इतर भी कई चीजों में निहित है। कुछ सफल उद्यमियों का सफर आैर अनुभव पेश है
सैप सेंटर में मोदी, आतंकवाद व यूएन के रवैये पर तीखा वार

सैप सेंटर में मोदी, आतंकवाद व यूएन के रवैये पर तीखा वार

अमेरिका यात्रा के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैलिफोर्निया के सैप सेंटर में भारतीय समुदाय के करीब 18 हजार लोगों को संबोधित किया। इस मौके पर उन्‍होंने सरकार की उपलब्धियां गिनाने के अलावा आतंकवाद पर भी करारा प्रहार किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार को सत्ता में आए 16 महीने हुए हैं और भारत के बारे में दुनिया की सोच में जबर्दस्त बदलाव आया है। हमने इतना विकास किया है कि हर दिन दो-दो घंटे बोलूं, तब भी 15 दिन लग जाएंगे। दुनिया मानने लगी है कि 21वी सदी भारत की होगी। उन्हें विश्वास है कि भारत को सफलता प्राप्त होगी क्योंकि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है।
कोका-कोला पर जल संकट पैदा के आरोप, नार्वे से आई रिपोर्ट

कोका-कोला पर जल संकट पैदा के आरोप, नार्वे से आई रिपोर्ट

दुनिया की जानी-मानी बेवरेज कंपी कोका-कोला पर भारत में जल संसाधनों के दुरुपयोग के आराेप लगे हैं। नार्वे की एक संस्‍था ने अपनी रिपोर्ट में कोका-कोला द्वारा भारत में की जा रही जल संसाधनों की बर्बादी का खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के आधार पर नार्वे के सरकारी पेंशन फंड पर कोका-कोला से निवेश वापस खींचने की मांग की जा रही है।
लंदन में ओपी नैय्यर के तराने

लंदन में ओपी नैय्यर के तराने

लंदन के नेहरू सेंटर में ओपी नैय्यर के गीतों से सजी शाम का आयोजन हुआ। कुल 140 सीटों वाले नेहरू सेंटर में 170 लोगों ने अर्पण कुमार और मीतल के मार्फत मुहम्मद रफी और आशा भोंसले की आवाजों को सुना। की-बोर्ड पर सुनील जाधव थे तो तबले पर केवल। गीतों से भरी इस शाम में कई लोग दूर-दूर से आए थे।
प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवईः जनपक्षधर पत्रकारिता की मिसाल

प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।
सुप्रीम कोर्ट की रोक से मृत्यु दंड पर बहस तेज

सुप्रीम कोर्ट की रोक से मृत्यु दंड पर बहस तेज

सर्वोच्च न्यायालय ने आज शबनम और उसके प्रेमी को दी गई फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही एक बार फिर मृत्य दंड पर बहस तेज हो गई है। इस बहस में में एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स की नई रिपोर्ट –भारतः अंतःकरण के नाम पर मौत (इंडियाः डेथ इन द नेम ऑफ कॉन्सिएंस) ने नई रोशनी डाली है। इस रिपोर्ट ने समाज के विवेक या अंतःकरण के नाम पर दिए गए मृत्यु दंड के पीछे के विरोधाभास, कानूनी मानदंड़ों के ह्रास को बेबाकी से सामने रखा है।
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