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Search Result : "लाल किला झंडा"

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
रघु दीक्षित से रोशन पुराना किला

रघु दीक्षित से रोशन पुराना किला

प्रख्यात लोक गायक और संगीतकार रघु दीक्षित ने यहां आयोजित समारोह के दौरान गरीबी, असमानता और जलवायु परिवर्तन से निपटने के संयुक्त राष्ट्र के नए लक्ष्यों के प्रति समर्थन जताया।
‘मदरसों में तो झंडा फहरता ही है, संघ भी फहराए’

‘मदरसों में तो झंडा फहरता ही है, संघ भी फहराए’

इलाहाबाद उच्च न्यायालाय ने एक महत्वपूर्ण आदेश के तहत सूबे के सभी मदरसों में कल राष्ट्रगान गाए जाने और 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा झंडा फहराने का आदेश क्या पारित किया कि सोशल मीडिया पर मुस्लिम समुदाय का गुस्सा फूट पड़ा। मुखर अल्फाजों में कहा गया कि आखिर किसी को मदरसों पर तिरंगे क्यों नहीं दिखाई देते हैं जबकि पहले से ही राष्ट्रीय दिवसों पर मदरसों में झंडा फहराया जाता है। अब इंतजार है कि जल्द ही नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कार्यालय पर तिंरगा फहराने के आदेश पारित हों।
मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

मेरी ही जासूसी क्यों-अनिल विज

हरियाणा में कमल वाली सरकार आने के बाद से लेकर अभी तक कोई करिश्मा नहीं हुआ। वादों की जमीन बंजर है। लेकिन एक मंत्री ऐसे हैं जिनका अपने विभाग के काम को लेकर ऐसा जुनून है कि इतनी चर्चा सरकारी योजनाओं की नहीं होती जितनी उनके ट्वीट की हो जाती है। जब से इन्होंने पदभार संभाला है तब से छापे और बर्खास्तगियां आम बात है। वह कभी अस्पताल तो कभी सचिवालय की छत पर खुद चढक़र पानी की टंकी साफ करने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग में इनका ऐसा हौवा है कि हरियाणा में एक जुमला कहा जाने लगा है, ‘भाग नहीं तो अनिल विज आ जाएगा’। पांच दफा विधायक चुने जा चुके साफ-सुथरी छवि के विज ने न तो सरकारी मकान लिया, न टेलीफोन सुविधा। गलत निर्णयों में अपनी ही सरकार की ऐसी-तेसी करने से भी नहीं डरते।
दो विभागों की खींचतान सोनार किला अंधेरे में

दो विभागों की खींचतान सोनार किला अंधेरे में

स्वर्णनगरी जैसलमेर स्थित विश्व विख्यात सोनार किला अपनी फ्लड लाइटों के बकाया भुगतान को लेकर दो विभागों के बीच जारी रस्साकशी के चलते अंधेरे में डूबा है और पर्यटक इसका आनंद नहीं उठा पा रहे हैं।
लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत संबंधी फाइलों के खुलासे की मांग

लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत संबंधी फाइलों के खुलासे की मांग

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री की मौत के रहस्‍य से पर्दा उठाने के लिए उनके बेटे सुनील शास्‍त्री ने संबंधित फाइलों के खुलासे की मांग की है। इससे पहले मनमोहन सिंह सरकार उनकी इस मांग का अनसुना कर चुकी है।
सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?