केंद्रीय जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के लिए देश भर के छात्र संगठन लामबंद हो गए हैं। आज वामपंथी दलों के छात्र संगठनों के अलावा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई, कांग्रेस का छात्रसंगठन), जदयू, आरजेडी और स्टूडेंट्स फ्रंट फॉर स्वराज जैसे छात्र संगठन एक मंच पर आए। इनके नेताओं ने ऐलान किया कि कन्हैया को बिना शर्त रिहा किया जाए अन्यथा सरकार देशव्यापी छात्र आंदोलन के लिए तैयार रहे।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में योग गुरू रामदेव को भाषण देने के लिए आमंत्रित करने पर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्याथी परिषद (एबीवीपी) ने रामदेव को बुलाने का स्वागत किया है जबकि वामपंथी छात्र संगठन इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।
विपक्षी उम्मीदवार माॅरिशियोे माकरी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है। इसके साथ ही वाम झुकाव वाली राष्ट्रपति क्रिस्टीना किर्चनर के युग का अंत हो गया है। क्रिस्टीना ने अपने दिवंगत पति के साथ 12 साल तक देश के राजनीतिक फलक पर अपना दबदबा कायम रखा और जन अधिकारों को मजबूती दी थी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
प्रसिद्ध विचारक और इतिहासकार प्रो. एमएम कलबुर्गी की अज्ञात बंदूकधारियों ने धारवाड़ में उनके घर पर गोलीमार हत्या कर दी। अंधविश्वास विरोधी और धार्मिक टिप्पणियों की वजह से वह लगातार कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर थे।
प्रफुल्ल बिदवई विलक्षण प्रतिभा के धनी पत्रकार, प्रवक्ता, बुद्धिजीवी और कार्यकर्ता थे। उनका अकस्मात हमारे बीच से चले जाना जनतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और शांति आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है। आज के विपरीत समय में अपनी बेबाक शैली, सुव्यवस्थित विश्लेषण और दुस्साहस के स्तर तक जोखिम उठाने की क्षमता के चलते वे अनेक युवा और आदर्शवादी पत्रकारों के प्रेरणास्रोत रहे। उनकी वैज्ञानिक और संपूर्ण दृष्टि तथा ऐतिहासिक बोध, उनकी विश्लेषण क्षमता का मूल मंत्र रहा। इसी ने उन्हें हमेशा खास बनाए रखा और जीवनभर उनकी लेखनी की चमक यूं ही बनी रही।
वामपंथी विचारधारा के जाने-माने पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल बिदवई का एम्सटर्डम में निधन हो गया है। एक रेस्तरां में मांस का एक टुकड़ा उनके गले में फंस गया और उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
5 मई को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आधिकारिक तौर पर माना कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिवार के सदस्यों की 20 सालों तक कथित जासूसी की जांच वह नहीं करवाने जा रही है। गृहराज्यमंत्री हरिभाई पारथी भाई चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह भी माना कि नेताजी से संबंधित और कोई दस्तावेज सरकार सार्वजनिक नहीं करेगी।