नेता, अफसर, शीर्ष उद्योगपति, डॉक्टर और आरोप सिद्ध होने पर स्वयं न्यायाधीश तक को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष नतमस्तक होकर न्यायिक आदेश का पालन करना होता है। लेकिन भारतीय क्रिकेट के आका मोटी चमड़ी वाले हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के सामने भी बल्लेबाजी कर रहे हैं।
भारतीय नेता यूं मीडिया को हर बात पर कोसते रहते हैं। लेकिन उन्हें कभी-कभी ईमानदार और साहसपूर्ण पत्रकारिता की तारीफ भी कर देनी चाहिए। आखिरकार बोफोर्स, टू जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाले और विदेश में जमा काले धन और बैंक खातों का पर्दाफाश भारत के खोजी पत्रकारों ने ही किया है।
बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन बैठकों के फोटो इस तरह प्रचारित हुए, जैसे उनकी तरह के मित्र दुनिया में नहीं हैं। लेकिन परमाणु सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए नरेंद्र भाई के ‘फ्रेंड’ बराक ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में एक बार फिर भारत को पाकिस्तान की श्रेणी में खड़ा कर दिया।
जय-जयकार। तालियां। नया अध्याय पाटलिपुत्र के इतिहास का। बिहार विधानसभा की बैठक में सभी सदस्यों ने शराब न पीने की शपथ ली। राज्य सरकार ने एक अप्रैल से शराबबंदी के तहत ग्रामीण इलाकों में देशी और मसालेदार एवं भारत में बनी विदेशी शराब प्रतिबंधित कर दी। वहीं शहरी इलाकों में देशी शराब पर प्रतिबंध के साथ अधिकृत दुकानों पर भारत में बनी विदेशी शराब की बिक्री का प्रावधान किया गया है।
नरेंद्र मोदी चुनावी चुनौतियों को विजय यात्रा के रूप में मानते रहे हैं। उनके आत्मविश्वास और दिन-रात अभियान चलाने की क्षमता का लोहा उनके सहयोगी ही नहीं विरोधी तक मानते हैं। वह 2014 से निरंतर चुनावी सभाओं को संबोधित करते रहे हैं। चुनावी अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा तैयार कर वह अखिल भारतीय स्तर पर एक ही अभियान में एकछत्र राज का प्रयास भी करना चाहते हैं।
मध्य प्रदेश ने भी अपने विधायकों का वेतन एक लाख रुपये से ज्यादा कर दिया। उत्तर प्रदेश यह काम पहले ही कर चुका है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी तो विधायकों को हर महीने तीन लाख रुपया देना उचित मानती है। सांसदों का वेतन भी लगातार बढ़ रहा है।
सरकारी खजाने से कल्याण की उम्मीद सदा रहती है। सत्ताधारी कांग्रेस हो अथवा भाजपा या आम आदमी पार्टी, हर वर्ष बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री जन-हित और सुविधाओं के लिए विभिन्न मदों में उदारतापूर्वक करोड़ों रुपयों का प्रावधान कर देते हैं। लेकिन साल के अंत में बही-खाता खोलने पर पता चलता है कि कई विभागों के लिए रखी गई धनराशि का बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र से उस समिति की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा जिसका गठन मुस्लिमों सहित विभिन्न धार्मिक अल्पसंख्यकों के विवाह, तलाक और संरक्षण से संबंधित पर्सनल लॉ के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए किया गया था।
कांग्रेस के पतन का कारण खोजने के लिए ए.के. एंटनी कमेटी की रिपोर्ट के अध्ययन की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही केवल भाजपा, वामपंथी दल या क्षेत्रीय दलों को दोषी ठहराया जा सकता है। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड का विद्रोह ताजा प्रमाण है।