प्रवासी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को अमेरिका भेजने वाले एशियाई देशों में भारत शीर्ष स्थान पर है। एशिया से अमेरिका जाने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कुल 29.6 लाख की आबादी में से 9.5 लाख लोग अकेले भारत के हैं। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने ऐसे समय में आधार कार्ड का पुरजोर समर्थन किया है, जब उच्चतम न्यायालय के फैसले से इसकी अनिवार्यता समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड के इस्तेमाल से एक पात्र व्यक्ति को कर्ज लेने में मदद मिल सकती है और लीकेज बंद हो सकती है। शीर्ष अदालत से उन्होंने इस फैसले पर स्थिति और स्पष्ट करने की भी मांग की है।
नागरिकों की निजता खतरे में है। हर कदम पर यह खतरा महसूस होने लगा है। आधार कार्ड से लेकर डीएनए विधेयक तक और गली-मोहल्ले में कानून का हवाला देकर फैली नैतिक पुलिसिंग तक। मुंबई में पुलिस ने होटल पर छापा मारकर वहां कमरों में टिके युगलों को अपराधियों की तरह निकाला और उनके साथ बदसलूकी की। उन्हें सार्वजनिक अश्लीलता संबंधी कानून के तहत दोषी बताया गया। क्या यह किसी सभ्य-परिपक्व राज्य की निशानी है। नहीं।
उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड की अनिवार्यता पर बरकरार संशय को खत्म करते हुए आज व्यवस्था दी कि सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना में पंजीकरण के लिए एकत्र व्यक्तिगत बायोमेट्रिक आंकड़ों को साझा करने से भी प्राधिकारियों पर रोक लगा दी।
निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक आईसीआईसीआई बैंक ग्रामीण इलाकों में ग्राहकांे को 15 लाख रुपये तक का ऋण आधार दर पर उपलब्ध कराएगा। आधार दर बैंकों की कर्ज पर ली जाने वाली सबसे निम्न ब्याज दर होती है। बैंक महिलाआंे को पहले ही आधार दर पर कर्ज उपलब्ध करा रहा है।
यह 21वीं सदी का नमक सत्याग्रह है जिस पर महात्मा गांधी को भी गर्व होता। भारत ने आयोडिन युक्त नमक उत्पादन को लेकर एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ पेटेंट की लड़ाई जीत ली है। नमक को लेकर यह लड़ाई भावनगर की एक सरकारी प्रयोगशाला ने जीती और दैनिक उपभोग के आयोडिन युक्त नमक बनाने के पेटेंट का नियंत्रण बहाल कर लिया। इस लड़ाई में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को मात मिली।
उच्चतम न्यायालय ने सरकार की सभी नागरिकों को आधार कार्ड मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ को सौंपने के केंद्र के आग्रह पर आज सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस पर मंगलवार को फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि वह इस बारे में निर्णय करेगी कि केंद्र द्वारा उठाए गए सवालों को वृहद पीठ को भेजा जा सकता है या नहीं।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के साथ देश ने एक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और युवाओं को प्ररेणा से भर देने वाला व्यक्तित्व खो दिया है। उनकी सादगी और विचारों ने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो जिंदगी के प्रति उनके नजरिए और सोच को जाहिर करते हुए हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।