भारत ने चुनाव जीतने का अपना प्रभावशाली रिकॉर्ड बरकरार रखते हुए आर्थिक एवं सामाजिक मामलों की संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के चार अनुषांगिक निकायों में चुनावों में जीत हासिल की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी कृत्य करने एवं उसका वित्तपोषण करने के सिलसिले में पेशावर स्कूल नरसंहार के मास्टमाइंड और पाकिस्तानी तालिबान के प्रमुख मुल्ला फजलुल्ला पर प्रतिबंध लगा दिया है।
लव जिहाद के नाम पर हिन्दू और मुसलमान के बीच जहां कुछ लोग वैमनस्य फैलाने में जुटे हैं, वहीँ महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका दिनों के साथी इमाम अब्दुल कादर बवाज़िर के खानदान के सदस्य पिछली चार पीढ़ी से संप्रदाय और धर्म के बंधनों को तोड़ कर 'वसुधैव कुटुम्बकम' के सिद्धांत को अपने जीवन से प्रस्थापित कर रहे हैं।
भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर अपने दो दिन के दौरे पर नेपाल पहुंचे हैं। जयशंकर ने नेपाल के विदेश सचिव से मुलाकात कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए नेपाल की मदद मांगी।
अमेरिका का प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय भारत, चीन और दक्षिण एशिया दूसरे देशों में अपने कार्यालय खोलेगा ताकि इन देशों में उससे संबद्ध संस्थाएं अनुसंधान एवं अकादमी संबंधी कार्य कर सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) में 12,000 करोड़ रुपये की विस्तार एवं आधुनिकीकरण परियोजना राष्ट्र को समर्पित की। इस परियोजना के तहत एक नई प्लेट मिल लगाई गई है।
पाकिस्तान में आज पंजाब प्रांत की विभिन्न जेलों में कैद चार दोषियों को फांसी पर लटका दिया। इसके साथ ही फांसी के मामलों की संख्या बढ़कर 66 हो गई है। पाकिस्तान ने मौत की सजा पर खुद रोक लगाई थी लेकिन दिसंबर में उसने इस फैसले को पलट दिया।
साल 2014 में आस्ट्रेलिया में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया के 31 नेताओं की निजी जानकारियां सार्वजनिक हो गई थी। गार्जियन अखबार के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई आव्रजन विभाग के एक कर्मचारी के ईमेल भेजने में हुई गलती के कारण ऐसा हुआ। ब्योरों में नाम, जन्म तिथि, पद, पासपोर्ट नंबर, वीजा नंबर, वीजा उपवर्ग और अन्य निजी जानकारियां शामिल थीं। गलती से नेताओं के निजी ब्योरे एशियन कप फुटबॉल टूर्नामेंट के आयोजकों के पास पहुंच गए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सम्मेलन में सरकारी रवैये से असंतोष। देश भर में अल्पसंख्यकों के हक-हकूक की जमीन तेजी से छीजती जा रही है। उनके खिलाफ जितने भी संगठित हमले, नरसंहार हुए, उसमें से इक्का-दुक्का को छोड़ कर शायद ही किसी में अदालत से न्याय मिला हो।