प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल का पद खत्म करने की मांग की।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय में तीन बार तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ना एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है, जो लोगों के एक बड़े तबके को प्रभावित करता है। इसे संवैधानिक ढांचे की कसौटी पर कसे जाने की जरूरत है। न्यायालय ने पसर्नल लाॅ के मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताते हुए यह विचार व्यक्त किए।
भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा की भाजपा सरकार को झटका देते हुए हाल ही में सरकार द्वारा जाटों और पांच अन्य समुदायों को दिए गए आरक्षण पर रोक लगा दी। हरियाणा सरकार ने इन समुदायों को यह आरक्षण लंबे और हिंसक जाट आंदोलन के बाद दिया था।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर दलित प्रेम का दिखावा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों को उनका संवैधानिक हक न देने पर आमादा पार्टियों के खिलाफ बसपा को केंद्र और राज्यों में एक राजनीतिक ताकत बनना होगा और साल 2007 की तरह उत्तर प्रदेश में फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी होगी।
हैदराबाद के दौरे पर गए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के ऊपर एक कार्यक्रम के दैरान जूता ऊछाला गया। एक संगोष्ठी के दौरान जिस समय कन्हैया सभा को संबोधित करने वाले थे उसी समय यह घटना घटी। हालांकि जूता कन्हैया को नहीं लग कर उनतक पहुंचने से पहले ही गिर पड़ा।
राज्यपालों की भूमिका पर पैदा हुए विवाद के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को राज्यपालों को मशवरा देते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे सभी लोग संविधान की पवित्रता बरकरार रखें।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने यौन उत्पीड़न को लेकर एक नई नीति की अधिसूचना जारी की है जिसमें झुठी शिकायतों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि पिछले दो साल के दौरान दिल्ली के किसी अन्य संस्थान की तुलना में जेएनयू में यौन उत्पीड़न की सर्वाधिक शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।