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Search Result : "संसदीय कार्य"

राज्यसभा में पेश होगा जीएसटी बिल, भाजपा ने जारी किया व्हिप

राज्यसभा में पेश होगा जीएसटी बिल, भाजपा ने जारी किया व्हिप

केंद्र सरकार बुधवार को राज्यसभा में जीएसटी विधेयक पेश कर सकती है। इस के मद्देनजर भाजपा ने एक व्हिप जारी कर अपने सदस्यों को अगले तीन दिन सदन में उपस्थित रहने को कहा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस दौरान यह विधेयक पारित करा लिया जाएगा।
कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए वाराणसी में रोड शो करेंगी सोनिया

कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए वाराणसी में रोड शो करेंगी सोनिया

अगले साल होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरूआत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दो अगस्त को वाराणसी शहर में रोड शो करेंगी। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है।
नजमा हेप्तुपल्ला ने भाजपा को बताया, लड़ेंगी उपराष्ट्रपति का चुनाव

नजमा हेप्तुपल्ला ने भाजपा को बताया, लड़ेंगी उपराष्ट्रपति का चुनाव

केंद्रीय कैबिनेट के सदस्यों के लिए अनाधिकारिक रूप से तय 75 वर्ष की आयु सीमा के कारण हाल ही में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाली नजमा हेप्तुल्ला उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहती हैं। इस संबंध में अपनी इच्छा से उन्होंने भाजपा को भी अवगत करा दिया है।
संसदीय गरिमा से खिलवाड़

संसदीय गरिमा से खिलवाड़

क्रिकेटर-नेता-मनोरंजन टी.वी. चैनलों के मसखरे नवजोत सिंह सिद्धू का राज्यसभा से इस्तीफा भाजपा से अधिक भारतीय संसद की गरिमा के साथ खिलवाड़ माना जाना चाहिए।
एससी-एसटी और अल्‍पसंख्‍यकों की सुरक्षा में मोदी रहे नाकाम : सोनिया

एससी-एसटी और अल्‍पसंख्‍यकों की सुरक्षा में मोदी रहे नाकाम : सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कश्‍मीर तथा गुजरात की हिंसा सहित मजदूरों की हालत और बढ़ती बेरोजगारी पर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। बुधवार को संसद की कार्यवाही से पहले कांग्रेस संसदीय बोर्ड की बैठक में उन्‍होंने कश्‍मीर की हिंसा और गुजरात में दलितो की पिटाई के मुद्दे पर पीएम मोदी की आलोचना की। उन्‍होंने कहा कि सरकार एससी-एसटी और अल्‍पसंख्‍यकों की सुरक्षा में पूरी तरह नाकाम रही है।
सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की उंगलियों पर अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा रहता है। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक किन-किन देशों की यात्राएं की हैं और भारत को कहां से क्या लाभ मिला है, इसका ब्यौरा जानना हो तो सुषमा स्वराज को बगैर कोई दस्तावेज देखे सिलसिलेवार बता देंगी। भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री के विदेश दौरों का सिलसिलेवार ब्यौरा रखा और एक-एक देश का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के सांसदों को बताया कि किस तरह उन दौरों का सकारात्मक प्रभाव दिखेगा। उन्होंने समझाया कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं को सैर-सपाटा कतई नहीं समझा जाए।
दिनेश त्रिवेदी एवं केडी सिंह की संसदीय स्थाई समिति से छुट्टी तय

दिनेश त्रिवेदी एवं केडी सिंह की संसदीय स्थाई समिति से छुट्टी तय

तृणमूल कांग्रेस अपने दो सांसदों को संसदीय स्थाई समिति से हटवाने जा रही है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्यसभा के सदस्य केडी सिंह और लोकसभा के सदस्य दिनेश त्रिवेदी को संसदीय समितियों से हटाने की सिफारिश करते हुए राज्यसभा अध्यक्ष एवं लोकसभा स्पीकर को पार्टी की तरफ से चिट्ठियां भेजी गई हैं। अगले एक महीने में विभिन्न संसदीय स्थाई समितियों की मियाद खत्म होने वाली हैं। इन समितियों का पुनर्गठन होना है।
मोदी सरकार ने केंद्र और दिल्ली के बीच भारत-पाक जैसे हालात बना दिए: केजरीवाल

मोदी सरकार ने केंद्र और दिल्ली के बीच भारत-पाक जैसे हालात बना दिए: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर केंद्र और दिल्ली के बीच के संबंध को भारत-पाकिस्तान जैसे हालात में पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर रूकावटें पैदा नहीं की गई होतीं तो उनकी सरकार ने दिल्ली में जितनी उपलब्धियां हासिल की हैं उससे चार गुना ज्यादा उपलब्धियां होतीं।
संसदीय मामले पर मंत्रिमंडलीय समिति से स्मृति ईरानी बाहर

संसदीय मामले पर मंत्रिमंडलीय समिति से स्मृति ईरानी बाहर

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद अब संसदीय मामले की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) में अहम फेरबदल किया गया है। इस बदलाव में समिति में विशेष आमंत्रित स्मृति ईरानी को हटा दिया गया और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उनके उत्तराधिकारी प्रकाश जावड़ेकर को प्रोन्नत कर उनकी जगह पर समिति में लाया गया है।
नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

नए विधायकों के लिए इंटर्नशिप था संसदीय सचिव पद

1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।
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