श्रीलंका के वर्तमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का फिर से प्रधानमंत्री बनना करीब-करीब तय हो गया है। हालांकि उनकी युनाइटेड नेशनल पार्टी 225 सदस्यीय संसद में सामान्य बहुमत से कुछ दूर रहती दिख रही है मगर माना जा रहा है कि देश के तमिल बहुल इलाकों के सबका सूपड़ा साफ कर देने वाली तमिल नेशनल अलायंस विक्रमसिंघे का समर्थन कर सकती है। तमिल पार्टियों को झुकाव पहले से ही यूएनपी की ओर है। इन चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को करारा झटका लगा है जो संसदीय चुनाव में जीतकर देश का प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब बुन रहे थे।
श्रीलंका में नई संसद चुनने के लिए सोमवार को मतदान जारी है और मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। राष्ट्रपति चुनाव में मैत्रीपाल सिरिसेना से मात खा चुके पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे भी सांसद पद का चुनाव लड़ रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि अगर उनकी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) को बहुमत मिल गया तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे।
सौर उर्जा की लागत कम करने के लिए प्रतिष्ठित एस एन बोस इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंसेज के शोधकर्ता ऐसा विचार लेकर आए हैं, जिसके जरिये सौर पैनलों के निर्माण के लिए सिलिकॉन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
संसद में हो रहे व्यवधान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने संसदीय दल की बैठक में कांग्रेस की व्यवधानकारी, नकारात्मक रणनीति पर प्रस्ताव पारित किया है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के निर्धारित प्रयासों में बाधा उत्पन्न करने के लिए कांग्रेस ऐसा कर रही है।
भूमि अधिग्रहण विधेयक की पड़ताल करने वाली संसद की संयुक्त समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए और चार दिन का समय दे दिया गया है। समिति की हाल ही में हुई बैठक में रिपोर्ट सौंपने के लिए पांच अगस्त तक दो और दिन का विस्तार मांगे जाने का फैसला किया गया था। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के कारण समिति की बैठक दो दिन तक नहीं हो सकी, इसलिए सात अगस्त तक का समय विस्तार मांगने का फैसला किया गया।
आम जनता से सब्सिडी छोड़ने की अपील करने वाली सरकार के लिए संसद की कैंटीन को दी जा रही सब्सिडी मुसीबत बनती जा रही है। केंद्र सरकार ने अब इस मामले से किनारा करते हुए कहा है कि संसदीय समिति को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू का कहना है यह व्यवस्था काफी समय से चली आ रही है और इसका निर्णय भाजपा सरकार ने नहीं किया है।
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) प्रकरण में तब नया मोड़ आ गया जब भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू ने छह सदस्यीय आयोग में दो प्रमुख व्यक्तियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय पैनल का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया।