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चर्चाः किराए की टीम से सत्ता की आशा | आलोक मेहता

चर्चाः किराए की टीम से सत्ता की आशा | आलोक मेहता

सवाल यह है कि गांव, मोहल्ले, कस्बे, शहर, महानगर में वर्षों तक रहने वाले पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता क्या स्थानीय मुद्दों, समस्याओं, क्षेत्र में समर्पित भाव से काम करने वाले व्यक्तियों की जानकारी क्षेत्रीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय नेताओं को नहीं दे सकते हैं?
राहुल में है कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का कौशल: दिग्विजय

राहुल में है कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का कौशल: दिग्विजय

राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा के बीच पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पार्टी को नए विचारों और पीढ़ी के बदलाव की जरूरत है। सिंह ने राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी कराने का जरूरी कौशल पार्टी उपाध्यक्ष में है।
बचे समय में कितने वादे पूरे कर पाएंगे अखिलेश यादव

बचे समय में कितने वादे पूरे कर पाएंगे अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार चुनावी मोड में है। अपने चार साल के कार्यकाल को प्रदेश के लिए सर्वोत्तम बताते हुए मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्होंने सारे वायदे पूरे किए हैं, अब जनता को चाहिए कि उन्हें रिटर्न गिफ्ट के रूप में 2017 में फिर से सत्ता सौंपे। उनका दावा है कि वह प्रदेश का छठा बजट भी पेश करेंगे। इसलिए उनके समर्थक अभी से नारे लगाने लगे हैं-पूरे हुए वायदे, अब हैं नए इरादे....कहो दिल से, अखिलेश फिर से....।
अगर भाजपा सत्ता में आई तो नागपुर से चलेगा असम का शासन: राहुल

अगर भाजपा सत्ता में आई तो नागपुर से चलेगा असम का शासन: राहुल

राहुल गांधी ने असम में मतदाताओं से विधानसभा चुनाव में भाजपा को खारिज करने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय या प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से राज्य का शासन चलेगा।
चर्चाः सत्ता के लिए रास्ता वही पुराना | आलोक मेहता

चर्चाः सत्ता के लिए रास्ता वही पुराना | आलोक मेहता

भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार अब एकछत्र राज के लिए कांग्रेस के पुराने रास्ते को अधिक चमकाकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। सप्ताहांत हुई पार्टी की राष्‍ट्रीय परिषद की बैठक में दलित, किसान, विकास, राष्ट्रवाद के एजेंडे को जोर-शोर से उछाला गया।
चर्चाः समानान्तर राजनीतिक सत्ता की कमाई

चर्चाः समानान्तर राजनीतिक सत्ता की कमाई

विजय पताका लिए सेनापति दो वर्षों की अवधि में तीन सेनाओं के नेतृत्व का दावा कर रहे हैं। ऐसा चमत्कार तो रामायण-महाभारत काल या विक्रमादित्य और सम्राट अशोक के शासनकाल के युद्ध में भी पढ़ने-सुनने को नहीं मिलता। भारतीय लोकतंत्र में नेहरू-इंदिरा गांधी-राजीव गांधी, नरसिंह राव, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में सत्ता और संगठन के साथ विचारधाराओं के आधार पर जन समर्थन की सफलता-विफलता देखने को मिली। राव-मनमोहन राज और अटलजी की सत्ता के अंतिम दौर में ‘शाइनिंग इंडिया’ से जुड़ी राजनीतिक टीम और पर्दे के पीछे मोटी रकम देकर सर्वेक्षणों एवं विज्ञापनों की एजेंसियों की सहायता ली गई। लेकिन मोदी युग में समानान्तर राजनीतिक सत्ता का एक नया केन्द्र उभरकर आया। भाजपा, आर.एस.एस. एवं इससे संबद्ध विभिन्न संगठनों, स्वामी रामदेव के लाखों समर्थकों, नए-पुराने नेताओं के धुआंधार प्रचार के बावजूद मोदी-भाजपा की सफलता का श्रेय ‘राजनीतिक प्रचार प्रबंधक’ प्रशांत किशोर ने लिया।
चर्चाः जुड़ती-टूटती डोर गठबंधन की | आलोक मेहता

चर्चाः जुड़ती-टूटती डोर गठबंधन की | आलोक मेहता

‘एकला चलो’ की राजनीति सत्ता के स्वर्णिम दरवाजे नहीं खोल पाती। इसलिए दशकों तक विचारधारा, मूल्यों और नेतृत्व पर निर्भर रहने वाले प्रमुख राजनीतिक दल-कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी समय के साथ सहयोगी बना और छोड़ रहे हैं।
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