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वर्ल्‍ड बैंक ने मनरेगा को माना विश्‍व की सबसे बड़ी योजना

वर्ल्‍ड बैंक ने मनरेगा को माना विश्‍व की सबसे बड़ी योजना

भारत में भले ही मनरेगा के बजट में कटौती और इसे कमजोर करने की कोशिशों पर बहस छिड़ी है लेकिन वर्ल्‍ड बैंक ने इसे विश्‍व की सबसे बड़ी सार्वजनिक निर्माण योजना माना है।
2050 तक हिंदू तीसरी सबसे बड़ी आबादी होंगे: रिपोर्ट

2050 तक हिंदू तीसरी सबसे बड़ी आबादी होंगे: रिपोर्ट

हिंदुओं की आबादी 2050 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी होगी। भारत इंडोनेशिया को पीछे छोड़कर मुस्लिमों की सर्वाधिक आबादी वाला राष्ट्र होगा। एक नए अध्ययन में इस बात का पूर्वानुमान किया गया है।
14 वर्ष में सबसे अधिक निवेश मॉरीशस से

14 वर्ष में सबसे अधिक निवेश मॉरीशस से

पिछले 14 वर्षों के दौरान भारत में हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आंकड़े इन आरोपों को बल प्रदान करते हैं कि मॉरीशस के रास्ते भारत में काला धन सफेद करके वापस लाया जाता है। तभी तो देश में 2000 से 2014 के बीच कुल 238.63 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 35.38 प्रतिशत योगदान के साथ मॉरीशस सबसे आगे रहा है।
इस्राइल: नेतन्याहू की पार्टी सबसे आगे

इस्राइल: नेतन्याहू की पार्टी सबसे आगे

इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी चुनावों में जीत की ओर बढ़ रही है। इस्राइली मीडिया ने 99.5 प्रतिशत मतों की गिनती पूरी होने के साथ ही कहा कि लिकुड पार्टी को संसद, नेसेट की 120 सीटों में से 30 सीटें मिली हैं, जबकि इसकी मुख्य विरोधी मध्य-वाम जिओनिस्ट यूनियन एलायंस ने 24 सीटें हासिल की हैं।
विश्व कपः श्रीलंका क्वार्टर फाइनल के करीब

विश्व कपः श्रीलंका क्वार्टर फाइनल के करीब

संगकारा ने अपने करिअर का 23वां और सबसे तेज शतक लगाया। उन्होंने अपनी पारी में 86 गेंदें खेलीं तथा 11 चौके और दो छक्के लगाए। संगकारा ने 70 गेंदों में शतक पूरा किया जो श्रीलंका की तरफ से विश्व कप में सबसे तेज शतक भी है। दूसरी तरफ 25 वर्षीय तिरिमाने इस टूर्नामेंट में सैकड़ा जड़ने वाले सबसे कम उम्र के श्रीलंकाई बल्लेबाज बने। उन्होंने 143 गेंदें खेलीं तथा 13 चौके और दो छक्के लगाए।
राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

सांघवी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक रहस्य करार दिया है। लेखक ने लिखा है, वह बेहद निजी जीवन से निकलकर कांग्रेस को उबारने के लिए आई थीं और दो चुनावों, 2004 एवं 2009, में कांग्रेस की जीत की अगुवाई की। जब यह सब कुछ हो रहा था तो वह कहां थीं? उनका राजनीतिक सहज ज्ञान कहां था? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि कांग्रेस विनाश की ओर बढ़ रही है ? लेखक कहते हैं, इन सवालों का जवाब वास्तव में कोई नहीं जानता है।
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