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ओरलैंडो गोलीबारी के दौरान भारतीय मूल के मरीन ने बचाई कई लोगों की जान

ओरलैंडो गोलीबारी के दौरान भारतीय मूल के मरीन ने बचाई कई लोगों की जान

ओरलैंडो के समलैंगिक क्लब पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान कई लोगों की जान बचाने को लेकर भारतीय मूल के एक पूर्व मरीन की खूब प्रशंसा हो रही है। इस हमले में 49 लोगों की मौत हो गई थी।
बांग्लादेश: समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता की हत्या मामले में एक आतंकी गिरफ्तार

बांग्लादेश: समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता की हत्या मामले में एक आतंकी गिरफ्तार

बांग्लादेश पुलिस ने देश की पहली समलैंगिक पत्रिका के संपादक और उनके मित्र की हत्या के मामले में एक संदिग्ध आतंकी की गिरफ्तारी की घोषणा की है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय पर की गई है, जब मुस्लिम बहुल इस देश में एक के बाद एक बुद्धिजीवियों, लेखकों और अल्पसंख्यकों की हत्याएं हुई हैं।
बांग्लादेश में एक उम्रदराज बौद्ध भिक्षु की निर्मम हत्या

बांग्लादेश में एक उम्रदराज बौद्ध भिक्षु की निर्मम हत्या

बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिम में स्थित एक बौद्ध मठ में रहने वाले एक 70 वर्षीय उम्रदराज बौद्ध भिक्षु की कुछ अज्ञात लोगों ने मठ के भीतर हत्या कर दी। सिर्फ एक ही हफ्ते पहले इसी तरह के एक हमले में एक मुस्लिम सूफी प्रचारक की हत्या कर दी गई थी।
संयुक्त राष्ट्र ने समलैंगिक अधिकारों के समर्थन में डाक टिकट जारी किए

संयुक्त राष्ट्र ने समलैंगिक अधिकारों के समर्थन में डाक टिकट जारी किए

संयुक्त राष्ट्र डाक प्रशासन ने समलैंगिक महिलाओं, समलैंगिक पुरूषों, द्विलिंगी और ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों के समर्थन में छह नए डाक टिकट जारी किए हैं।
पुरुष-पुरुष प्यार के कारण जीवन जेल हो गया

पुरुष-पुरुष प्यार के कारण जीवन जेल हो गया

राजस्थान के रहने वाले नकुल शर्मा काफी परेशान हैं। इस दफा उन्हें संसद से काफी उम्मीद थी कि धारा 377 से संबंधी विधेयक पर जरूर कुछ न कुछ होगा। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने गेंद संसद के पाले में डाली है। लेकिन कांग्रेसी नेता शशि थुरूर का विधेयक पटल तक पर नहीं आ सका। इस संबंध में नकुल शर्मा की परेशानी यह है कि वह गे यानी समलैंगिक हैं। उनका कहना है कि उन्हें लैंगिक अल्पसंख्यक का दर्जा चाहिए। अपनी कहानी के जरिये नकुल बताते हैं कि बलात्कार सिर्फ मर्द औरत के बीच नहीं होता है बल्कि उनके जैसे असंख्य लोगों के साथ होता है तो कोई कानून नहीं है जो उन्हें न्याय दिलवा सके।
आजादी विशेष | इन कानूनों में अब भी बंधे हम

आजादी विशेष | इन कानूनों में अब भी बंधे हम

आजादी के 68 साल के जश्न के बीच आजादी का अहसास किन-किन बंद तालों से आज भी टकरा रहा है, इसकी पड़ताल की जरूरत बेहद शिद्दत से महसूस की जा रही है। ये ताले जब कानूनों के हों तो फिर आजादी की तड़प बंद पिंजरे में फडफ़ड़ाती है।
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