सरकारी आंकड़ों का दावा है कि गेहूं और लहसुन उत्पादन में प्रदेश अव्वल रहा है और प्रधानमंत्री तक ने किसानों की सुध लेने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की राह अपनाई है
रेडियो पर एक गाना बहुत बजता है- ‘चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।’ यों यह गीत प्यार-मोहब्बत से जुड़ा है। लेकिन नेताओं-मंत्रियों के लिए इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लगाए जाते हैं। भोली भाली जनता चेहरे और वायदे पर वोट दे देती है। फिर खून-पसीने की मेहनत की कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को देती है। इसी सरकारी खजाने की रकम से सरकार में बैठे प्रभावशाली नेता-मंत्री अपना चेहरा चमकाए रखना चाहते हैं।
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित पंपोर इलाके में सेना और आतंकियों के बीच सोमवार को तीसरे दिन भी मुठभेड़ जारी है। इलाके के एक सरकारी इमारत में छिपे आतंकियों का मुकाबला कर रही सेना ने कहा है कि उसे इन आतंकवादियों का सफाया करने की कोई जल्दबाजी नहीं है ताकि सुरक्षाबलों को और नुकसान न हो।
फंसे कर्ज (एनपीए) से बुरी तरह प्रभावित बैंक आफ बड़ौदा, बैंक आफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंकों को अब तक का सबसे बड़ा 12,000 करोड़ रुपये का कुल तिमाही नुकसान हुआ जबकि एसबीआई, पीएनबी और केनरा के मुनाफे में भारी गिरावट दर्ज हुई।
दलाल पथ स्थित बंबई शेयर बाजार में आज उस समय हाहाकार मच गया जब भारी गिरावट दर्ज करते हुए सेंसेक्स 807.07 अंक टूटकर 23,000 अंक के स्तर से नीचे आ गया। सेंसेक्स का यह पिछले 21 महीने का निचला स्तर होने के साथ ही छह महीने की सबसे बड़ी गिरावट है। आज की गिरावट से निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
उत्तर कोरिया ने रविवार को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय जगत को हैरत में डालते हुए नाराज कर दिया। उत्तर कोरिया ने एक सरकारी समाचार एजेंसी के जरिये ऐलान किया कि उसने रॉकेट प्रक्षेपण के जरिए एक उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया है। उत्तर कोरिया के रॉकेट प्रक्षेपण की निंदा बैलिस्टक मिसाइल के परीक्षण के तौर पर की जा रही है, जिसकी जद में अमेरिका आता है।
‘मेरी छतरी के नीचे आ जा’ और ‘नहीं भूलेंगे यह बरसात की रात’ जैसे गीत सिनेमा के पर्दे और रेडियो पर मन मोह लेते हैं। प्रेम-विरह में भी बरसात, पहाड़, रेगिस्तान के दृश्य दिल-दिमाग को द्रवित करते हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, देश के निजी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी के मामलों की संख्या सरकारी संस्थानों में होने वाली डिलीवरी की संख्या के दोगुने से ज्यादा है।