बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार को सवा लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने के दावे की पोल खोल दी है। नीतीश कुमार ने इस पैकेज में शामिल हरेक घोषणा का बारीकी से विश्लेषण किया है। उनका कहना है कि विशेष पैकेज में 87 फीसदी राशि पुरानी योजनाओं की है और सिर्फ 10368 की राशि नई है।
सरकारी बैंक भारी डूबत कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष तक उनका सकल एनपीए 2.67 लाख करोड़ रुपये था जो पूरे बैंकिंग उद्योग के एनपीए का 86 प्रतिशत बैठता है।
इस साल यानी 2015 में हम मिलेनियम डेवलेपमेंट गोल्स पाने के करीब हैं। सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने ये लक्ष्य अपने लिए तय किए थे और इनमें भारत भी एक है। इन लक्ष्यों में गरीबी, भुखमरी को दूर करना, प्राइमरी शिक्षा सब तक पहुंचाना, लैंगिक समानता के साथ माताओं का स्वास्थ्य भी एक लक्ष्य तय किया गया था। हम इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे या नहीं इस बहस को एक तरफ रखकर अगर देखें तो जानेगें कि हम इस (माताओं के स्वास्थ्य) लक्ष्य की तरफ अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाएं हैं।