कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को पंजाब दौरे पर गए। इस दौरान उन्होने फरीदकोट जिले में पिछले महीने पुलिस गोलीबारी में मारे गए दो लोगों के परिजनों से मुलाकात भी की।
जानेमाने गीतकार गुलजार ने बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के विरोध में लेखकों की ओर से साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने को सही बताते हुए कहा कि देश में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे गए।
सह शिक्षा के इस्लामिक सिद्धांतों के अनुकूल ना होने की बात कहते हुए पाकिस्तान के एक धार्मिक संगठन ने सरकार से जल्द से जल्द पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग शिक्षा तंत्र स्थापित करने को कहा है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बात की गंभीर आशंका जताई कि देश में सहिष्णुता और असहमति को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है। पिछले पंद्रह दिनों के अंदर यह दूसरा मौका है जब राष्ट्रपति ने सहिष्णुता और बहुलता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता है। हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में किया जाना चाहिए। दुर्गा पूजा समारोहों की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागम वाली महामाया असुरों और विभाजनकारी ताकतों का नाश कर देंगी।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की थी। परंतु उसके लगभग दो सौ साल बाद कुमाऊं में अल्मोड़ा के पंडित देवीदत्त जोशी ने ब्रजभाषा में श्री रामलीला नाटक लिख कर एक अनूठा प्रयोग किया। पूरी तरह गेयशैली में लिखे गए इस नाटक में उन्होंने अनेक स्वरचित गीत डाले।
पंजबा के फरीदकोट में पवित्र किताब के कथित अपमान से नाराज सिख प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव में आज 8 पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर जमकर पथराव किया जबकि पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारों से बेकाबू भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास किया।
देश में लगातार बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के बाद हिंदी के जाने-माने साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। इससे पहले उदय प्रकाश भी कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में यह पुरस्कार लौटा चुके हैं।
ऐसा लगता है कि हिंदूवादी शक्तियों ने धार्मिक जनगणना के आंकड़ों को भुनाना शुरू कर दिया है। तभी तो शिवसेना की आगरा इकाई ने उन हिंदू परिवारों को दो लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है जिनके परिवार में पांच बच्चे होंगे।
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।