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जाति और धर्म के नाम पर नहीं चुनाव लड़ रही भाजपा- भूपेंद्र यादव

जाति और धर्म के नाम पर नहीं चुनाव लड़ रही भाजपा- भूपेंद्र यादव

भारतीय जनता पार्टी के महासचिव भूपेंद्र यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी जाति और धर्म के नाम पर नहीं चुनाव लड़ रही है। आउटलुक से विशेष बातचीत में यादव कहते हैं कि उनका मुख्य मुद्दा विकास का है और इसी को ध्यान में रखकर पार्टी चुनाव लड़ रही है।
‘ऊंची जाति के जज दलित जज से पाना चाहते हैं छुटकारा’

‘ऊंची जाति के जज दलित जज से पाना चाहते हैं छुटकारा’

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालत की अवमानना का नोटिस मिलने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सर्वोच्च न्यायालय के किसी सिटिंग जज को नोटिस थमाने के अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया है कि ऊंची जाति के जज, एक दलित जज से छुटकारा पाने के लिए अपने अधिकारों का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहे हैं।
जाति-मजहब के आधार पर काम करने वाले धर्मनिरपेक्ष कैसे : योगी

जाति-मजहब के आधार पर काम करने वाले धर्मनिरपेक्ष कैसे : योगी

अपने तेज तर्रार बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले भाजपा के फायरब्रांड नेता और गोरखपुर से लगातार पांच बार के सांसद योगी आदित्यनाथ ने आज कहा कि वे वही मुद्दे उठाते है जो जनता से सीधे जुड़े होते हैं और आगे भी ऐसा करते रहेंगे।
हाशिये के वर्गों के लिए बजट आवंटन बढ़ा

हाशिये के वर्गों के लिए बजट आवंटन बढ़ा

केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में आम बजट 2017-18 प्रस्‍तुत करते हुए कहा कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन‍जातियों और अल्‍पसंख्‍यकों की कल्‍याण योजनाओं के कार्यान्‍वयन पर विशेष महत्‍व दे रही है।
चुनावी खेल में मीडिया के माथे पर जाति-धर्म का टीका

चुनावी खेल में मीडिया के माथे पर जाति-धर्म का टीका

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा जाति, धर्म, संप्रदाय के नाम पर वोट मांगे जाने को अवैध करार दिया। अब पांच राज्य विधान सभाओं का चुनावी बिगुल बज गया है। उम्मीदवार न सही वर्षों से जाति-धर्म के झंडे-डंडे लेकर चुनावी अखाड़े में शक्ति प्रदर्शन करने वाले आसानी से पीछे नहीं हटने वाले हैं।
धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना गलत : सुप्रीम कोर्ट

धर्म और जाति के नाम पर वोट मांगना गलत : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगा जाना चुनाव कानून प्रावधान के तहत भ्रष्ट तरीका है। जनप्रतिनिधि कानून में भ्रष्ट तरीके को परिभाषित करने वाली धारा 123 (3) में इस्तेमाल शब्द उसका धर्म के संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर और तीन अन्य न्यायाधीशों ने तीन के मुकाबले चार के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इसका यह अभिप्राय मतदाताओं, उम्मीदवारों और उनके एजेंटों आदि समेत सभी के धर्म और जाति से है।
सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक : अंसारी

उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
यूपीः 17 अतिपिछड़ी जातियां होगी एससी वर्ग में शामिल

यूपीः 17 अतिपिछड़ी जातियां होगी एससी वर्ग में शामिल

उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने के प्रस्ताव को आज फिर पारित किया। इसे जल्द ही केन्द्र के पास भेजा जाएगा। हालांकि इससे पहले भी सरकार इसी तरह का प्रस्ताव केंद्र के पास भेज चुकी थी।
भाजपा शासित राजस्‍थान में एससी-एसटी समुदाय की सबसे ज्‍यादा दुर्गति

भाजपा शासित राजस्‍थान में एससी-एसटी समुदाय की सबसे ज्‍यादा दुर्गति

देश में भाजपा शासित राजस्थान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ 2013-15 में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए जिसके बाद उत्तरप्रदेश और बिहार का नंबर आता है। सरकार की हालिया रिपोर्ट में यह तथ्‍य सामने आए हैं। केंद्र ने ऐसे मामले में खराब सजा दर के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
‘’कोई धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वीकृति नहीं देता’’

‘’कोई धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वीकृति नहीं देता’’

‘धर्म न केवल मनुष्य बल्कि प्राणिमात्र की एकता और सौहार्द्र की सीख देते हैं। अहिंसा और प्रेम हर धर्म के मूल में हैं। समाज का कोई भी धर्म हिंसा और वैमनस्य को स्वी‌कृ‌ति नहीं देता।’ सद्भावना सेवा संस्‍थान एवं इंटरफेथ फाउंडेशन के तत्वावधान में हुए “सामाजिक, धार्मिक परिदृश्यः परिवर्तन और जिम्मेदारियां” विषयक सेमिनार में आए विचारों का लब्बोलुआब करीब-करीब यही था।
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