नेपाल में क्षमता है कि वह दक्षिण एशिया के राष्ट्र-राज्यों के लिए एक उदाहरण बन सके। लेकिन यदि गहरे इतिहास को छोड़ दें तो आधुनिक युग में निरंतर राजनीतिक और प्राकृतिक दुर्घटनाओं ने नेपाल के लोगों के उत्साह और प्रयासों पर पानी फेरा है। इस साल 2015 में नेपाल का महाभूकंप इस देश के लिए एक अवसर प्रदान करता है।
बिहार के कोसी इलाके में तूफान की तबाही का मंजर अभी देख ही रहे थे कि अचानक पड़ोसी मुल्क नेपाल में आए भीषण भूकंप से यह पूरा इलाका ही थर्रा गया। सहरसा, पूर्णिया, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, अररिया आदि जिलों में तूफान के कहर के बाद यहां के लोगों को लग रहा था कि जन-जीवन सामान्य हो रहा है
नेपाल भूकंप आपदा में मरने वालों की संख्या 10, 000 का आकंड़ा पार करने की आशंका जताई जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने यह आशंका जताई कि भूकंप से मरने वालों की संख्या दस हजार को पार कर सकती है। उधर जिंदा बचे लोगों में राहत न मिल पाने की वजह से आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
उपाध्याय उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्याल में प्राध्यापक हैं। अध्यापन से पहले वह प्रखर पत्रकार रह चुके हैं। अमर उजाला और हिंदुस्तान अखबार में काम करते हुए उन्होंने रिपोर्टिंग के क्षेत्र में जो भी विविधताएं महसूस कीं उन्हें बाद में कविता में ढाला। उनकी खबरों की समझ और कविता की संवेदना मिल कर जो काव्य पैदा करती है, वह कविता को नई भाषा देती है।
सत्यम घाटोले के सभी 10 आरोपियों को हैदराबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है। यह घोटाला 7 जनवरी 2009 को समाने आया था। तत्कालीन अध्यक्ष बी रामालिंगा राजू पर हेरा-फेरी का आरोप लगाया गया था।
नेपाल में संविधान निर्माण की प्रक्रिया अब तक अधर में लटकी है। इस बीच सत्ताधारी कांग्रेस-एमाले गठबंधन और यूसीपीएन माओवादी के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं।
27 साल पहले मेरठ के हाशिमपुरा में 40 मुसलमानों के कत्लेआम के मुकदमे में 16 पीएसी जवानों को सबूत के अभाव के आधार पर रिहा कर दिया गया। पीड़ितों को पुनर्वास का मामला राज्य विधि सेवा अधिकरण के हवाले किया।
पाकिस्तान की तरफ से 31 दिसंबर 2014 की रात भारतीय सीमा में प्रवेश करने वाली रहस्यमय नौका को लेकर नौसेना अधिकारियों और भारत सरकार के विवादास्पद बयानों से रहस्य और गहराता जा रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की कुर्सी बचाने के लिए भाजपा समर्थन देगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सूत्रों के मुताबिक भाजपा को साफ तौर पर संकेत दे दिया गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मांझी का समर्थन करना जरुरी है। क्योंकि मांझी बिहार में दलित चेहरा बन चुके हैं।