लुटियन दिल्ली की औरंगजेब रोड शीघ्र ही पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानी जाएगी। नई दिल्ली नगरपालिका परिषद यानी एनडीएसमी ने आज इस संबंध में अपनी मंजूरी दे दी।
देश में फांसी की सजा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बॉम्बे उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं युग मोहित चौधरी। फांसी के फंदे पर झूलने वाले अभियुक्त के लिए एक अंतिम आस के तौर पर युग चौधरी का नाम आता है।
बान की मून ने कहा कि कलाम के निधन पर दुनिया भर में व्यक्त की गई संवेदना इस बात का सबूत है कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान और उसके बाद कलाम ने किस कदर सम्मान और प्रेरणा अर्जित की।
30 जुलाई को दो बहुचर्चित जनाजे निकले। एक खुले समुंदर के पास रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ, तिरंगे में लिपटा। दूसरा, नागपुर केंद्रीय कारावास की कालकोठरी से निकाल फंदे पर झुला कर कब्रिस्तान के लिए रुखसत किया गया। एक सिंहासन चढ़ि चला तो एक बंधा जंजीर। काल की दो लीलाएं। मृत्यु के दो थिएटर। लेकिन एक ही देश के दो नागरिक, एक ही मजहब के दो लोग। हालांकि मृत्यु पूर्व जीवन के दो अलग-अलग रंगमंच। अब्दुल कलाम अपने रंगमंच पर भारतीय राज्य प्रतिष्ठान के हीरो और याकूब मेमन भारतीय राज्य प्रतिष्ठान का मुजरिम तो मुजरिम, विलेन भी। पहले को मौत के बाद भी मुख्यधारा जनमानस और सूचना-प्रचार तंत्र से ‘अमर रहे’ और ‘जिंदाबाद’ की विदाई। दूसरे के लिए मौत के पहले ही उसी मानस और तंत्र से ‘फांसी दो, फांसी दो’ तथा ‘मुर्दाबाद’ की गूंज जिसके आगे न्यायपालिका भी नतमस्तक हो गई।
रामेश्वरम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री डॉ. कलाम को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
हमेशा नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को पूरा देश सलाम कर रहा है। उनके सम्मान में तरह-तरह के अभियान शुरू हो चुके हैं। कोई महात्मा गांधी की तरह उनकी तस्वीर वाले रुपये के नोट छापने की मांग कर रहा है तो कुछ लोग औरंगजेब रोड का नाम बदलकर कलाम के नाम पर रखने की वकालत कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी याद में एक पेड़ लगाने के लिए भी एक ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया गया है। केंद्र सरकार पहले ही राष्ट्रीय आविष्कार मिशन का नाम कलाम के नाम पर रखने का ऐलान कर चुकी है। लेकिन जिस तरह पूरे देश में मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान की लहर दौड़ रही है, आने वाले दिनों में कलाम के नाम पर अभियानों की बाढ़ आ सकती है।
27 जुलाई, 2015 दो झटके लेकर आया। पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला और पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइलमैन’ अब्दुल कलाम का निधन। कलाम का जाना एक दौर का अवसान था जबकि गुरदासपुर हमले की घटना आतंक के एक नए मोर्चे की शुरुआत।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली से रामेश्वरम ले जाया गया। गुरूवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पीआईबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अशुद्ध हिंदी में दी गई श्रद्धांजलि। इससे सरकार की हिंदी के प्रति सजगता की खुली पोल