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अशोक शाह की कविता: पहचान छोड़ आता हूं

अशोक शाह की कविता: पहचान छोड़ आता हूं

छह कविता संग्रह। साथ ही पुरातत्व विषयों पर भी लेखन। सभी पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं-कहानियां, लेख प्रकाशित। अनियतकालीन पत्रिका यावत का संपादन। सन 1990 से भारतीय प्रशासनिक सेवा में।
मणि मोहन की कविताएं

मणि मोहन की कविताएं

अब तक दो कविता संग्रह और एक अनुवाद की पुस्तक प्रकाशित। कविता संग्रह, शायद पर म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा वागीश्वरी सम्मान। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित।
विहान के मंच पर विभोर

विहान के मंच पर विभोर

सृजनात्मक सरोकारों की दिशा में काव्य प्रतिभाओं की नई आमद हुई है। इन्हीं नवोदित कवि प्रतिभाओं की कविता का पाठ हुआ। विभोर उपाध्याय ने कला समूह विहान के अंतर्गत स्थापित पोएटिक्स मंच पर युवा मन में अंकुराती उम्मीदों, स्मृतियों, सपनों और सामजिक संवेदनाओं से गहराती कविताओं का अनूठी वाचिक शैली में पाठ किया। तीसरा कोना, वक्त, बचपन, यादें, आखरी पन्ना शीर्षक से रचनाएं श्रोताओं तक पहुंची।
वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
अमीर खुसरो की कविता, शिरीन की कहानी

अमीर खुसरो की कविता, शिरीन की कहानी

हजरत अमीर खुसरो की लिखी रुदार ए शिरीन एक ऐसी स्त्री की जीवन गाथा है जिसमें वह अपनी पहचान और अस्तित्व ढूंढने की कोशिश करती है। इसे संगीतमय रूप में दिल्ली घराने की महिला कलाकारों ने प्रस्तुत किया है। रुदार ए शिरीन यानी शिरीन की कहानी की मंच पर संगीतमय प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा।
जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार पर सवाल उठाने वाले आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजीव भट्ट ने कहा कि वह 24 साल की उम्र में एक जुनून के साथ आईपीएस में आए थे और यह आग आज भी उनके अंदर जल रही है। उनका कहना है कि सरकार ने ड्यूटी से गैर-हाजिर रहने के मनगढ़ंत आरोपों पर एकतरफा जांच कर उन्‍हें सेवा से हटाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ संजीव भट्ट ने एक कविता के जरिये अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। इस अंग्रेजी कविता का अनुवाद इस प्रकार है:
ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

पाकिस्तानी सूफी गायक अदील खान बर्की जब भी हिंदुस्तान आते हैं एक तकलीफ के साथ यहां से जाते हैं। बंटवारे के वक्त बर्की के बुजुर्गों को जालंधर से लाहौर पड़ा था। उनके दादा और वालिद की तमन्ना थी कि आखिरी वक्त में एक दफा वह जालंधर जरूर जाएं लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें यह नसीब न हो सका। ऐसे में अदील खान के दादा और वालिद के खाक-ए-सुपुर्द होने के बाद उन्होंने उनकी कब्र पर कत्बा लगवाया, जिसपर लिखा ‘ए जालंधर की हवाओ अगर कभी इस तरफ से गुजरो तो कुछ देर इस कब्र पर ठहर जाना, तुम नहीं जानती कि मरने वाला तुम्हें कितना याद करता है क्योंकि तुम बदनसीब इंसानों की तरह वीजा की मोहताज नहीं हो।’ इस दफा जब अदील खान हिंदुस्तान आए तो आउटलुक की विशेष संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की-
दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दिल्ली के लिए दिली ख्वाहिश

दो काव्य-संग्रह, नदी के पार नदी (2002), नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली, मैं सड़क हूं (2011), बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। देश की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं,आलेख,समीक्षाएं प्रकाशित। कुछ संपादित संग्रहों में कविताओं का चयन। हिंदी समय, (महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) पर काव्य संग्रह' मैं सड़क हूं' की ई पुस्तक सहित कई कविताएं शामिल। कुछ कहानियां/लघु-कथाएं प्रकाशित। दूरदर्शन/आकाशवाणी से कविताओं/कहानियों का प्रसारण।
प्लेटफार्म नंबर सात

प्लेटफार्म नंबर सात

यह मौसम पतंगबाजी का नहीं है और गिरानी में नाच नाम से दो कविता संग्रह। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित।
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