इसे वक्त की बेरुखी कहें या किस्मत का खेल, लेकिन शंघाई स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए फख्र के लम्हे जुटाने वाला एक दिव्यांग एथलीट इन दिनों रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। लखनउ के हामिद ने 2007 में शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया था। लेकिन अफसोस कि इतनी बड़ी उपलब्धि भी उसकी किस्मत नहीं बदल सकी और आज वह अपने गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने को बाध्य है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सम-विषम योजना फिर शुरू हो सकती है। बताया जा रहा है कि योजना की दूसरी पारी के तारीखों की घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को कर सकते हैं।
पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली ने आज अदालत के समक्ष कहा कि लश्कर-ए-तैयबा ने 26/11 के मुंबई हमलों से एक साल पहले ताज होटल में भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों हमले की योजना बनाई थी। हेडली ने यह भी कहा कि उसने नौसैन्य वायु स्टेशन और सिद्धीविनायक मंदिर की रेकी की थी।
अमेरिका ने परमाणु क्षतिपूर्ति पूरक मुआवजा समझौते की भारत द्वारा अभिपुष्टि किए जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि यह महत्वपूर्ण कदम भारत में परमाणु संयंत्रों के निर्माण में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने में सहायक होगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में रोजगार गारंटी कानून मनरेगा की प्रशंसा करने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर चुटकी ली है। मंगलवार को राहुल ने कहा कि मोदीजी की सरकार द्वारा संप्रग सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा की सराहना करना उनकी राजनीतिक बुद्धिमता का जीता जागता उदाहरण है।
‘मेरी छतरी के नीचे आ जा’ और ‘नहीं भूलेंगे यह बरसात की रात’ जैसे गीत सिनेमा के पर्दे और रेडियो पर मन मोह लेते हैं। प्रेम-विरह में भी बरसात, पहाड़, रेगिस्तान के दृश्य दिल-दिमाग को द्रवित करते हैं।
भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।
‘योजना भवन’ की दीवार पोतकर ‘नीति आयोग’ का बोर्ड लगाने की पहली वर्षगांठ पर रोशनी और धूमधाम की तैयारी नहीं हो रही है। ‘नीति सम्राट’ आयोग के कामकाज और अब तक की ढिलाई से अप्रसन्न हैं। नवगठित आयोग में मुख्यमंत्रियों के उपसमूहों की रिपोर्ट अवश्य बनती गई, लेकिन अफसरों-बाबुओं ने पूरे एक वर्ष में केवल एक रिपोर्ट सरकार को दी। अब एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी अमिताभ कांति को मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है, ताकि पूंजी निवेश और वितरण की योजना एवं व्यवस्था को पश्चिमी देशों की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सके।