गृह मंत्रालय द्वारा विधि आयोग की मृत्युदंड खत्म करने की सिफारिश को यह कहते हुए खारिज किए जाने की संभावना है कि आतंकवाद के खतरे को देखते हुए संविधान से इसे पूरी तरह खत्म करने का अभी वक्त नहीं आया है।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि उसे बुधवार को समाप्त कालाधन अनुपालन सुविधा के तहत किए गए 638 खुलासों के जरिये 3,770 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई। वित्त मंत्रालय ने सीबीडीटी द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के आधार पर जारी एक बयान में कहा अनुपालन सुविधा के तहत विदेश में गैरकानूनी तौर पर जमा 3,770 करोड़ रुपये के बारे में खुलासे से जुड़े 638 हलफनामे मिले। इन आंकड़ों पर अंतिम मिलान बाकी है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वभारती विश्वविद्यालय (शांति निकेतन) के कुलपति सुशांत दत्तगुप्ता को बर्खास्त करने की अनुशंसा की है। अगर उनकी बर्खास्तगी हुई तो इस तरह हटाए जाने वाले वे किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले कुलपति हो सकते हैं।
एक महीने के भीतर उच्च न्यायालयों के आठ न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिससे देश के उच्च न्यायालयों में रिक्तियों का आंकड़ा बढ़कर इस महीने 392 हो गया। अगस्त में यह आंकड़ा 384 था। यह ऐसे समय में हुआ है जब उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नई नियुक्ति करने या उन्हें पदोन्नत करने का कोई तंत्र नहीं है।
डेंगू संकट से जूझ रहे दिल्लीवासियों के ऊपर अब स्वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है। दिल्ली में स्वाइन फ्लू फैलने की आशंका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्वाइन फ्लू के संभावित खतरे से दिल्लीवासियों को चेताया है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रोटीन की पहचान की है जो दिल का दौरा पड़ने के बाद उसकी मांसपेशी की कोशिकाओं को फिर से बनाने में मदद करता है। अनुसंधाकर्ताओं ने यह भी बताया है कि हृदय के अंदर थोड़ी अधिक मात्रा में यह प्रोटीन रखा जाए तो चूहों और सुअरों में इससे न केवल हृदयघात के बाद दिल के कामकाज में सुधार होता है बल्कि उनके बचने की संभावना भी बढ़ जाती है।
भारत ने आज सऊदी अरब से कहा कि दिल्ली के अपने राजनयिक के खिलाफ चल रही जांच में वह सहयोग करे जिस पर नेपाल की दो महिलाओं से गुड़गांव स्थित फ्लैट में बलात्कार और उत्पीड़न के आरोप हैं।
कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।