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अरुंधती रॉय समेत कई बुद्धिजीवियों ने किया हांसदा की किताब पर प्रतिबंध का विरोध

अरुंधती रॉय समेत कई बुद्धिजीवियों ने किया हांसदा की किताब पर प्रतिबंध का विरोध

झारखंड सरकार ने संथाली महिलाओं के अश्लील चित्रण का आरोप लगाते हुए हांसदा की किताब ‘आदिवासी विल नॉट डांस’ पर बैन लगा दिया।
अगले टेस्ट में नहीं खेल पाने का दर्द जडेजा ने ट्विटर पर किया शेयर

अगले टेस्ट में नहीं खेल पाने का दर्द जडेजा ने ट्विटर पर किया शेयर

कोलंबो टेस्ट में भारत ने श्रीलंका को पारी और 53 रन से हरा दिया। इस जीत में सबसे अहम योगदान रविंद्र जडेजा का रहा जिन्होंने दूसरी पारी में 5 विकेट झटके। उन्हें प्लेयर ऑ द मैच का अवार्ड भी मिला।
तीसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया को लगा बड़ा झटका, अगले मैच में नहीं खेल पाएंगे रवींद्र जडेजा

तीसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया को लगा बड़ा झटका, अगले मैच में नहीं खेल पाएंगे रवींद्र जडेजा

टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 पर काबिज रवींद्र जडेजा ने कोलंबो टेस्ट में 7 विकेट झटके थे। साथ ही उन्होंने बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करते हुए पहली पारी में 70 रन बनाए थे।
दिल्ली मेट्रो की नई पहल, स्मार्ट फोन से कर सकेंगे भुगतान

दिल्ली मेट्रो की नई पहल, स्मार्ट फोन से कर सकेंगे भुगतान

दिल्ली मेट्रो ने अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सर्विस देने के लिए नई पहल की शुरुआत की है। यात्रिं तो कार्ड रिचार्ज करने या टोकन खरीदने के लिए लंबी लाइनों में लगने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। यात्री अपने स्मार्टफोन से ही क्यू आर कोड स्कैन कर भुगतान कर सकेंगे। अभी कुछ गिने चुने स्टेशन पर ही क्यूआर कोड लगाए गए हैं। इस सर्विस को एचडीएफसी बैंक ने लांच किया है लेकिन इसे किसी भी बैंक के एप से इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?