बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। भाजपा के सहयोगी दलों ने अपने-अपने तरीके से सौदेबाजी शुरू कर दी और सीटों के बंटवारे को लेकर भी मनमाना रवैया अपनाने लगे।
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में दरार की आशंकाएं अभी से होने लगी है। भाजपानीत राजग गठबंधन में शामिल रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी लोसपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम में अभी से दरार नजर आने लगा है।
पुरानी राजनीति में पगे पर्यवेक्षक बार-बार पूछ रहे हैं कि लालू प्रसाद अपने अहम और जनाधार की आशंकाओं को ताक पर रखकर नीतीश के नाम पर राजी कैसे हो गए। लालू के निजी हावभाव भरमाने वाले भले रहे हों, सार्वजनिक तौर पर उनके वक्तव्य पिछले लोकसभा चुनावों में हार के बाद पिछले उपचुनावों के वक्त से ही भाजपा विरोधी संयुक्त मोर्चे के लिए प्रतिबद्धता के रहे हैं।
अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद के साथ गठबंधन को लेकर गतिरोध और दोनों दलों में जारी जुबानी जंग के कारण बढ़ते तनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जद-यू विधायकों और सांसदों से सुझाव लेना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने इस्तीफा दे दिया है और अन्नाद्रमुक विधायक दल की बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। जयललिता राजभवन जाकर राज्यपाल के रोसैया से मिल चुकी हैं और उन्हें उन विधायकों की सूची सौंपी है जिन्हें वह अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहती हैं। जयललिता शनिवार को दिन में 11 बजे शपथ लेंगी।
भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सत्ता छोड़ने के लिए बाध्य हुईं अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता करीब आठ महीने बाद पांचवीं बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ लेंगी। उनके साथ 28 मंत्री भी शपथ लेंगे।