बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए होने जा रहे चुनावी महाभारत के लिए मैदान तकरीबन सज चुका है। एक दूसरे को शिकस्त देने के इरादे से दोनों राजनीतिक गठबंधन अपने सेनापतियों के साथ आमने सामने डट गए हैं। तीसरी ताकत के नाम पर कुछ महारथी खुद के जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी और को हराने और किसी और की जीत में मददगार साबित होने की रणनीति के तहत अगल बगल से या फिर नेपथ्य में रह कर भी इस चुनावी महाभारत में अपनी भूमिका के लिए उद्धत हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पंजीकृत गैर मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों को इस बार दिलचस्प चुनाव चिह्न आवंटित किए गए हैं जिनमें हरी मिर्च, फूलगोभी, टेलीफोन, जूता, चप्पल, आईसक्रीम, बाल्टी आदि शामिल हैं।
बिहार विधानसभा की तारीखों का ऐलान होते ही बिहार की सियासत में सरगर्मी बढ़ने लगी है। हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआइएम भी इस चुनाव से बिहार में कदम रखने को बेकरार है। पार्टी अध्यक्ष ने कहा है कि उनकी पार्टी बिहार के केवल सीमांचल क्षेत्र में ही उम्मीदवार खड़ा करेगी।
संप्रग एक की सरकार में लालू प्रसाद के साथ केंद्रीय मंत्री रहे और वर्ष 2009 का लोकसभा और 2010 का विधानसभा चुनाव उनके साथ मिलकर लड़ने वाले बिहार के वरिष्ठ दलित नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि लालू के साथ रहने के जमाने में भी कभी दोनों के दिल नहीं मिले।
मुंबई की लाइफ लाइन लोकल में सफर करना कितना मुश्किलों भरा रहता है यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। सैकड़ों लटके हुए यात्रियों को देख कर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ट्रेन से सफर करने से पहले टिकट खरीदने के लिए भी कम ‘सफर’ नहीं करना पड़ता।
नेपाल के राजनीतिक दल नए संविधान को अंगीकार करने के मुहाने पर पहुंच गए हैं। नेपाल की संविधान मसौदा समिति ने एक बड़ी सफलता के तहत लंबे समय से लंबित संविधान के प्रथम मसौदे को मंजूरी दे दी है। इस संविधान के लागू हो जाने पर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष, समावेशी और विविध जातीय देश के रूप में पहली बार मान्यता मिलेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। भाजपा के सहयोगी दलों ने अपने-अपने तरीके से सौदेबाजी शुरू कर दी और सीटों के बंटवारे को लेकर भी मनमाना रवैया अपनाने लगे।
सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए बहुप्रतीक्षित ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) योजना बिहार चुनाव के ठीक बाद इसी वर्ष लागू हो सकती है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अगले कुछ महीनों में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद के साथ गठबंधन को लेकर गतिरोध और दोनों दलों में जारी जुबानी जंग के कारण बढ़ते तनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जद-यू विधायकों और सांसदों से सुझाव लेना शुरू कर दिया है।