संयुक्त राष्ट्र महासभा में कल पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री एंटोनियो गुटेरेस को औपचारिक तौर पर वैश्विक संस्था का अगला महासचिव नियुक्त किया जाएगा। गुटेरेस वर्तमान महासचिव बान की मून की जगह लेंगे।
ओडिशा में एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से बीवी के शव को 12 किलोमीटर तक ढोने वाले दाना मांझी नौ लाख का चेक लेने ओडिशा से दिल्ली विमान से आए। उन्हें बहरीन दूतावास ने बुलाकर अपने शेख की तरफ से भिजवाया हुआ 8.87 लाख का चेक दिया।
अमेरिका में भारतीय मूल की एक महिला को अपनी 12 साल की सौतेली बेटी को निर्ममता से प्रताडित करने और उसे डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक भूखा रखने का दोषी ठहराते हुए 15 साल कैद की सजा सुनाई गई है। क्वींस निवासी शीतल रानोत (35) को इस साल जुलाई में एक ज्यूरी ने प्रथम डिग्री के अपराध और एक बच्चे को खतरे में डालने का दोषी करार दिया।
ओडि़शा के बालेश्वर जिले में एक वृद्ध महिला के शव के साथ अमर्यादित व्यवहार कर अपने कर्तव्य का उचित निर्वहन नहीं करने के मामले में राजकीय रेल पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया।
एक नए सर्वे के अनुसार कंप्यूटर के दौर में आभासी दुनिया से पैदा हाने वाली प्रतिस्पर्धा किसी व्यक्ति के काम करने के प्रयास को बढ़ावा देते हैं। सर्वे में कहा गया है कि आभासी दुनिया से कोई व्यक्ति उतना ही प्रभावित होता है जितना वह निजी जीवन में अपने दोस्त या सहकर्मी के काम की सफलता से होता है।
मध्यप्रदेश में जबलपुर के पनागर के बिहर गांव में मानवता को शर्मसार करनेे वाला मामला सामने आया है। जिसके बाद भाजपा शासित इस राज्य की सामाजिक समरसता पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। गांव में एक दबंग ने अपनी जमीन से शवयात्रा ले जाने की अनुमति नहीं दी। मजबूरन लोगों को तालाब के बीच चार फीट पानी से शव को श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा। मुसबीत यहीं कम नहीं हुई बल्कि लोग जब श्मशानघाट पहुंचे तो वहां पर सरकार की जमीन पर धान बोया गया था। नतीजन शव का अंतिम संस्कार निजी जमीन पर किया गया।
एंबूलेंस नहीं देने के बाद ओडिशा के कालाहांडी में पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के मामले पर अभी भी बहस जारी है, इसी बीच इसी तरह का एक और प्रकरण सामने अाया है। राज्य के बालासोर में अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन तक पहुंचाया गया।
भुवनेश्वर के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा। उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली। व्यक्ति के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी।