अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की है।
केंद्र सरकार ने प्रवासी भारतीयों को डाक मतपत्र के जरिए मतदान का अधिकार उपलब्ध कराने का निर्वाचन आयोग का सुझाव स्वीकार कर लिया है। यह जानकारी केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी। इस संबंध में शीघ्र ही कानून में संशोधन किया जाएगा।
लंदन के नेहरू सेंटर में ओपी नैय्यर के गीतों से सजी शाम का आयोजन हुआ। कुल 140 सीटों वाले नेहरू सेंटर में 170 लोगों ने अर्पण कुमार और मीतल के मार्फत मुहम्मद रफी और आशा भोंसले की आवाजों को सुना। की-बोर्ड पर सुनील जाधव थे तो तबले पर केवल। गीतों से भरी इस शाम में कई लोग दूर-दूर से आए थे।
शुक्रवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की सारी गतिविधियां अचानक से रुक गईं। लगातार 24 घंटे की भारी बारिश और समुद्र में उठे ज्वार ने मुंबई की सड़कों और लोकल ट्रेन की पटरियों में इतना पानी भर दिया कि पूरे शहर में बाढ़ के हालात बन गए। लोकल के पहिये तो तत्काल थम ही गए, सड़कों पर भी गाड़ियां जहां-तहां खड़ी हो गईं। इसके साथ ही यह सवाल एक बार फिर से पूछा जाने लगा कि अगर शहर मानसून की पहली बारिश भी नहीं झेल पाया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
राजनीतिक रूप से संवेदनशील केरल के कन्नूर जिले में एक देसी बम फटने से दो लोगों की मौत हो गई और चार जख्मी हो गए। बताया जा रहा है कि मौत का शिकार बने दोनों व्यक्ति माकपा के कार्यकर्ता थे।
केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच दिल्ली पर अधिकार की जंग अब सर्वोच्च न्यायालय जाएगी। केजरीवाल सरकार को उच्च न्यायालय में मिली जीत को केंद्र सरकार सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी। उधर, बुधवार को दिल्ली विधानसभा में एक आप विधायक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की विवादास्पद अधिसूचना की प्रति फाड़ दी।
देश के संवैधानिक प्रमुख की हैसियत से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजधानी दिल्ली में गहराते संवैधानिक संकट को देखते हुए अब और निष्क्रियता और चुप्पी की आरामतलबी गवारा नहीं कर सकते। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के उसके खिलाफ विधान सभा का सत्र बुलाने के निर्णय से केंद्र और दिल्ली सरकार का टकराव अब उस कगार पर पहुंच गया है कि बिना न्यायपालिका या राष्ट्रपति जैसी उच्च संवैधानिक संस्थाओं की पंचायती के किसी परिपक्व संवैधानिक हल की उम्मीद नहीं।