अमेरिका यात्रा से ठीक पहले अंतरराष्ट्रीय पत्रिका दी इकॉनोमिस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में लिखा है, “भारतीय प्रधानमंत्री जितने बड़े सुधारवादी दिखते हैं उतने हैं नहीं।”
क्या आपको पता है कि आठ सालों के भीतर पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारें गायब हो जाएंगी? यह बात सुनने में जरूर अटपटी लग रही हों लेकिन स्टैनफोर्ड के अर्थशास्त्री टोनी सेबा का मानना है कि ऐसा नजारा जल्द ही देखने को मिल सकता है।
नोटबंदी के फैसले पर अब पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना खुलकर सामने आ रही है। पहले इस पर मिलीजुली और सधी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलती थी। प्रख्यात अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीव एच हांक ने उच्च राशि की मुद्रा के चलन से बाहर करने के फैसले की आलोचना की है।
नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को तानाशाही वाली कार्रवाई करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम भरोसे पर टिकी अर्थव्यवस्था की जड़ें खोखली करेगा।
पुणे स्थित थिंकटैंक अर्थक्रांति के संस्थापक अनिल बोकिल ने कहा है कि बिना समुचित तैयारी के नोटबंदी का कदम उठाया गया है। बोकिल का मानना है कि इस अच्छे प्रयास का सही से क्रियान्वयन नहीं किया गया।
नोटबंदी को लेकर देश भर में जारी हलचल के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज एक विवादास्पद बयान दे दिया। अखिलेश ने दावा किया कि अर्थशास्त्रियों का मत है कि वैश्विक मंदी के दौर में काले धन ने भारतीय अर्थव्ययस्था को सहारा दिया था।
विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने आज कहा कि भारत सरकार का 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री मौरिस ऑब्स्टफेल्ड ने आज आर्थिक ताकतों के जटिल जोड़ के बीच भारत को एक उम्मीद की किरण बताया। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रगति के बावजूद सरकारी बैंकों की बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) चुनौती है।