एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर शिकंजा कसने में जुटी केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की कंपनी सबरंग कम्युनिकेशन के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
गुजरात के दंगों से जुड़े मामलों को जोर-शोर से उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को घेरने का एक और प्रयास किया गया है। इस बार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके द्वारा संचालित दो एनजीओ को विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
कंप्यूटर प्रणालियों पर हद से अधिक निर्भरता कितनी नुकसानदेह हो सकती है यह शायद दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका को अब समझ में आए। दरअसल कंप्यूटर प्रणाली में गड़बड़ होने के कारण पूरी दुनिया में अमेरिका की वीजा जारी करने की प्रक्रिया बाधित हो गई है।
कारपोरेट क्षेत्र का एक हिस्सा और भारत के वित्त मंत्रालय में एक प्रभावशाली तबका विदेशी दान दाताओं के मामले में ज्यादा अनुदार रवैये की उपयोगिता के बारे में संशय रखता है। उनकी राय में सामाजिक क्षेत्र में विदेशी दाता पूंजी के प्रति ज्यादा अनुदार रुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हतोत्साहित करेगा। ऐसी कारपोरेट राय की अगुवाई नारायण मूर्ति करते हैं। देखें नृपेंद्र मिश्र की पंचायती क्या रंग लाती है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गृह मंत्रालय भारतीय एनजीओ को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर नियम-कायदों का शिकंजा कसने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने जा रहा है, जिसकी घोषणा 15 जून तक हो सकती है। इस नई नियामक व्यवस्था में खुफिया ब्यूरो, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग के बीच मजबूत तालमेल रहेगा। विदेशी अनुदान हासिल करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को एक वेबसाइट बनानी होगी और फंड हासिल करने के 48 घंटे के अंदर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपनी गतिविधियों और सहयोगी संस्थाओं की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
अमेरिका के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक जिम्मेदारियों को उठाने और भारत एवं अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूती देने के लिए भारत के भीतर मोदी की प्रगति बेहद जरूरी है।
किसी भी दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चीन यात्रा सफल कही जाएगी। इसमें भारतीय इनफ्रॉस्टक्चर क्षेत्र में 10 अरब डॉलर के चीनी निवेश 22 अरब डॉलर के व्यापार समझौतों सहित कई समझौते किए गए।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर आए खर्च से जुड़ी जानकारी उजागर नहीं किए जाने के बावजूद केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा गठित समिति ने सभी मंत्रालयों को इस तरह की जानकारियां उजागर करने और सक्रिय रुप से अपडेट करने निर्देश दिए हैं।
क्या बिना मीट परोसे आप किसी को सिर्फ मीट मसाला खिला सकते हैं? कूटनीतिक और राजनयिक समाचार कथाओं के संदर्भ में भारतीय मीडिया अक्सर यही करता है। वह मसाला चखाने के चक्कर में मीट परोसना भूल जाता है। विदेश नीति और राजनय से संबंधित घटनाक्रम अक्सर आम जनजीवन से इतने दूर और ओट में होते हैं कि आम दर्शक अमूमन मसाले को ही मीट समझने की भूल कर बैठता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा की राजनयिक कथा में मंगोलिया दौरे की उपकथा की अहमियत भारतीय मीडिया की नजरों से ओझल रही और यह अहम उपकथा आम भारतीय दर्शक या पाठक की प्लेट में परोसी ही नहीं गई।
चीन और दक्षिण कोरिया में दिए नरेंद्र मोदी के उस बयान की तीखी आलोचना हो रही है जिसमें उन्होंने कहा था कि पहले लोगों को भारत में पैदा होने पर शर्मिंदगी होती थी लेकिन अब गर्व है।