पश्चिम बंगाल के बक्सा बाघ अभयारण्य से बाघों के विलुप्त होने की आशंका जाहिर की गई है। इस बीच वन अधिकारियों ने दावा किया है कि पर्वतीय ढलान में मौजूद इनके रहने का स्थान छोटा पड़ चुका है। गौरतलब है कि बक्सा बाघ अभयारण्य भारत-भूटान सीमा पर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में स्थित है। .
एनजीओ की विदेशी फंडिंग पर शिकंजा कसने में जुटी केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की कंपनी सबरंग कम्युनिकेशन के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
गुजरात के दंगों से जुड़े मामलों को जोर-शोर से उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को घेरने का एक और प्रयास किया गया है। इस बार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनके द्वारा संचालित दो एनजीओ को विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
कंप्यूटर प्रणालियों पर हद से अधिक निर्भरता कितनी नुकसानदेह हो सकती है यह शायद दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका को अब समझ में आए। दरअसल कंप्यूटर प्रणाली में गड़बड़ होने के कारण पूरी दुनिया में अमेरिका की वीजा जारी करने की प्रक्रिया बाधित हो गई है।
कारपोरेट क्षेत्र का एक हिस्सा और भारत के वित्त मंत्रालय में एक प्रभावशाली तबका विदेशी दान दाताओं के मामले में ज्यादा अनुदार रवैये की उपयोगिता के बारे में संशय रखता है। उनकी राय में सामाजिक क्षेत्र में विदेशी दाता पूंजी के प्रति ज्यादा अनुदार रुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हतोत्साहित करेगा। ऐसी कारपोरेट राय की अगुवाई नारायण मूर्ति करते हैं। देखें नृपेंद्र मिश्र की पंचायती क्या रंग लाती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली 16 जून से अमेरिका यात्रा पर जा रहे हैं। वह 16 जून से शुरू होने वाली इस यात्रा के दौरान अमेरिका के वित्त मंत्री, विदेशी संस्थागत निवेशकों तथा उद्योगपतियों से मिलेंगे।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गृह मंत्रालय भारतीय एनजीओ को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर नियम-कायदों का शिकंजा कसने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने जा रहा है, जिसकी घोषणा 15 जून तक हो सकती है। इस नई नियामक व्यवस्था में खुफिया ब्यूरो, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग के बीच मजबूत तालमेल रहेगा। विदेशी अनुदान हासिल करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को एक वेबसाइट बनानी होगी और फंड हासिल करने के 48 घंटे के अंदर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपनी गतिविधियों और सहयोगी संस्थाओं की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस प्रकार अफवाहें फैलाने के लिए किया जाता है यह हम अतीत में देख चुके हैं मगर अब मुख्यधारा का मीडिया भी इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हो जाए तो लोगों को और अधिक सावधान रहने की जरूरत है।