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18,473 स्कूली छात्रों ने गीता श्लोक पढ़कर बनाया रिकार्ड

18,473 स्कूली छात्रों ने गीता श्लोक पढ़कर बनाया रिकार्ड

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के तहत गीतामय युवा चेतना कार्यक्रम में 18,473 स्कूली छात्रों ने साथ मिलकर गीता के 18 अध्यायों से 18 श्लोक पढ़े जिस पर हरियाणा सरकार ने नया विश्व रिकार्ड कायम करने का दावा किया।
जनता के मौन का खतरा भी

जनता के मौन का खतरा भी

भारतवासी अपने संस्कार और हजारों वर्षों की परंपरा से धैर्यवान हैं। जीवन में कठिनाइयों से जूझना, श्रम के साथ प्रकृति-ईश्वर के प्रति आस्था। रखना उनके स्वभाव में है। इसलिए आर्थिक क्रांति की तरह सरकार द्वारा रातों-रात एक हजार और पांच सौ के नोटबंदी के फैसले पर देश के विभिन्न भागों में गंभीर समस्याओं, लंबी पंक्तियों, बीमारी के इलाज, असामयिक मृत्यु, विवाह में बाधाओं के बावजूद हिंसक घटनाएं नहीं हुई। सरकार ने इस धैर्य और मौन को निर्णय का व्यापक समर्थन एवं स्वीकृति करार दिया है।
गीता फोगाट का जुनून : हाथों में मेहंदी लगाए अखाड़े में अभ्यास

गीता फोगाट का जुनून : हाथों में मेहंदी लगाए अखाड़े में अभ्यास

क्या आपने कभी हाथों में मेहंदी लगाए किसी महिला को शादी से एक दिन पहले या शादी के तीन दिन बाद अखाड़े में दांव पेंच लगाते या कुश्ती मैट पर लोटते देखा है। देश की पहली महिला ओलंपियन पहलवान गीता फोगाट को अगले महीने होने वाले पेशेवर कुश्ती लीग : पीडब्ल्यूएल : में इस रूप में देखा जा सकता है।
एमसीआई को खत्म करना ही समाधान मान लिया गया है : डॉ जयश्री मेहता

एमसीआई को खत्म करना ही समाधान मान लिया गया है : डॉ जयश्री मेहता

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई)को समाप्‍त कर उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन लाने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया है।ऐसे संभावित बदलाव पर आउटलुक ने एमसीआई की अध्यक्ष डॉ जयश्री मेहता से कुछ अहम बिंदुओं पर बातचीत की। इस दौरान मेहता का कहना था कि हम मेडिकल की पढ़ाई के स्‍तर को बेहतर करना चाहते हैं। इसी वजह से हम नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं। पर लोग कहते हैं कि जिद्दी रवैया अख्तियार कर रहे हैं। अगर ऐसा न करके ढिलाई बरतें तो कहते हैं कि एमसीआई चोर है।
हवाला-छापों से हैरान ए.के.। आलोक मेहता

हवाला-छापों से हैरान ए.के.। आलोक मेहता

ए.के.- 67 के कारतूस लगातार खोखले और ‘आप हंता’ साबित हो रहे हैं। 70 में से 67 का भारी बहुमत और टोपी-कमीज-चप्पल से बनी प्रारंभिक लोकप्रिय छवि वाला मुख्यमंत्री भारतीय राजनीति में पहले कभी नहीं उभरा। केवल दो साल की राजनीतिक गोलीबारी के साथ संपूर्ण भारत पर राजनीति की महत्वाकांक्षा पालने वाले ए.के. यानी अरविंद केजरीवाल अब हैरान हैं।
मराठा गौरव को आरक्षण। आलोक मेहता

मराठा गौरव को आरक्षण। आलोक मेहता

मराठा पृष्ठभूमि गौरवशाली रही है। मराठा राजा-महाराजाओं का सत्ताकाल, स्वतंत्रता आंदोलन और आजाद भारत में आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का बड़ा श्रेय मराठा समुदाय को मिलता है। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर जैसे क्षेत्रों में उद्योग-व्यापार, शिक्षा, पर्यटन, सहकारी समितियों की संस्था एं, कृषि, विज्ञान इत्यादि में नए रिकॉर्ड बने हैं। फिर भी पिछले दिनों राजनीतिक इरादों से मराठा आरक्षण देने की मांग को लेकर हजारों लोगों का प्रदर्शन हुआ है।
अब अमेरिकी ऊंट पहाड़ के नीचे। आलोक मेहता

अब अमेरिकी ऊंट पहाड़ के नीचे। आलोक मेहता

भारत पिछले कई वर्षों से अमेरिका सहित दुनिया के देशों को पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी दानवों के खतरे की ओर ध्यान आकर्षित करता रहा है। फिर भी अमेरिका बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को आर्थिक मदद एवं अत्याधुनिक हथियार देता रहा। ओसामा बिन लादेन के तालिबानी हमले के बाद उसने अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों पर बमबारी की और सैनिक तैनात किए लेकिन पाकिस्तान में छिपे लादेन के अपवाद को छोड़कर किसी आतंकवादी ठिकाने को निशाना नहीं बनाया।
कश्मीर मुद्दे पर मीडिया का हमला। आलोक मेहता

कश्मीर मुद्दे पर मीडिया का हमला। आलोक मेहता

भारतीय सैनिक टुकड़ी पर पाकिस्तानी आतंकवादी हमले को कायराना और निंदनीय कहते हुए उत्तेजक प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और देश भर में आक्रोश भी उचित है। लेकिन यह पहला अवसर नहीं है। 1947 से आज तक पाकिस्तान ने भारतीय सीमाओं पर हर सभंव हमले, घुसपैठ और गड़बड़ियां की हैं। सन 1965 और 1971 के पाकिस्तानी आक्रमण का करारा जवाब लालबहादुर शास्त्रीर और इंदिरा गांधी ने दिया था। दोनों अवसरों पर पाकिस्तानी सेना को करारी पराजय के साथ समर्पण करना पड़ा था।
उपराष्ट्रपति अंसारी ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति मदुरो के साथ वार्ता की

उपराष्ट्रपति अंसारी ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति मदुरो के साथ वार्ता की

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 17वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वेनेजुएला पहुंच गए हैं। अंसारी विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर वहां के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो से मुलाकात कर विस्तृत बातचीत की।
अपनों की असहमति को सलाम। आलोक मेहता

अपनों की असहमति को सलाम। आलोक मेहता

आप इस शीर्षक से असहमत हो सकते हैं। इसे शिरोधार्य करना हमारा भी कर्तव्य है। सामान्यतः मीडिया असहमतियों को विद्रोह, धमाके, टूट, बिखराव, टकराव की तरह पेश करता है। इसकी वजह यही है कि धीरे-धीरे समाज में असहमतियों को विरोध की तरह अनुचित माना जाने लगा है। महात्मा गांधी या अब्राहम लिंकन, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी (आपातकाल के अपवाद को छोड़कर), अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने यदि असहमतियों, अपनों की कड़वी खरी-खोटी नहीं सुनी होती तो, राजनीतिक दलों या लोकतांत्रिक सरकारों में संभवतः कई महत्वपूर्ण फैसले ही नहीं हो पाते।
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