'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
सौ दिन पूरे पर समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार को उत्तर प्रदेश की जनता के लिए अभिशाप बताया है। सपा का कहना है कि भाजपा सरकार लोगों में घृणा और जाति, धर्म व समुदायों में भेदभाव फैलाने का काम करती है। वहीं बसपा व कांग्रेस ने भी सरकार को कानून व्यवस्था के मा्मले में नाकारा करार दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी पुरुष और महिला के बीच शारीरिक संबंध या वन नाइट स्टैंड हिंदू कानूनों के तहत विवाह की परिभाषा में नहीं आता। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर उन दोनों ने शादी नहीं की है, तो ऐसे संबंधों से जन्में बच्चे को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होगा।
सीपीएम दफ्तर में हिन्दू सेना के दो लोगों ने पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी पर हमला कर दिया। हमले के के बाद दोनों युवकों की सीपीएम कार्यकर्ताओं ने जमकर पिटाई की और पुलिस को सौंप दिया। इन लोगों का कहना है सीपीएम नेता प्रकास करात ने भारतीय सेना पर जो आर्टिकल लिखा है उसके विरोध में उन्होंने यह हमला किया है।
पाकिस्तान में एक सैनिक की शहादत ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। दरअसल पाकिस्तान की सुरक्षा करते हुए शहीद हुआ सैनिक एक हिंदू था। सोशल मीडिया पर इस शहादत की कहानी वायरल हो रही है।
आईआईटी मद्रास में बीफ फेस्ट का आयोजन करने वाले छात्रों पर हिन्दुवादी संगठन के लोगों ने हमला कर दिया। हमले के दौरान पीएचडी स्कॉलर सूरज आर की आंख में गंभीर चोट आई है। आईआईटी में करीब 80 छात्रों ने केंद्र के पशु बिक्री बैन के विरोध में रविवार को यह फेस्ट आयोजित किया था।
भारत और रोमानिया के बीच बेहद करीबी और मजबूत संबंध हैं। इस बात का अंदाजा रोमानिया के स्कूलों में 11वीं कक्षा के बच्चों को रामायण और महाभारत के अंश पढ़ाए जाने से भी लगाया जा सकता है।
बुलंदशहर जिले के सोही गांव के मुस्लिम हिंदू युवा वाहिनी के डर से अपना पुश्तैनी गांव छोड़ने के भय में जी रहे हैं। इस गांव में महज 4-5 मुस्लिम परिवार हैं, जिनमें से एक परिवार के सबसे बड़े 55 वर्षीय गुलाम अहमद की हत्या का आरोप हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों पर लगा हैं।
डिजिटीकरण के इस दौर में अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध 233 साल पुरानी एशियाटिक सोसायटी ने समय के साथ चलने के लिए अपनी 50 हजार से ज्यादा पांडुलिपियों और एक लाख से अधिक पत्रिकाओं तथा प्रकाशनों का डिजिटीकरण शुरू कर दिया है।