गुरुग्राम में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। तीन लोगों ने एक महिला के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया और महिला की 9 महीने की बच्ची को ऑटो के बाहर फेंक दिया।
गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने के बयान से चर्चा में आए राजस्थान हाईकोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा ने अब कहा कि मोर को इसलिए राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया, क्योंकि वह ब्रह्मचारी होता है। बिना मैथुन क्रिया के ही मोर आपने आंसुओं से मोरनी को गर्भवती कर देता है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने सोशल मीडिया साइट के माध्यम से कहा कि देश में सभी प्रकार के जाति आधारित आरक्षण बंद होने चाहिए। उन्होंने इसे देश के लिए एक अभिशाप बताया है।
पूरे देेेेश को शर्मसार करने वाले निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में नई चेतना आई। जिसके बाद बलात्कारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने और ऐसे जघन्य अपराध में लिप्त नाबालिगों को भी कड़ी सजा दिलवाने की मुहिम छिड़ी।
दिल्ली के एक स्कूल द्वारा एक रेप पीड़ित छात्रा को एडमिशन नहीं देने का मामला सामने आया है। छात्रा के परिजनों ने स्कूल पर आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को प्रवेश देने से स्कूल ने इंकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालत की अवमानना का नोटिस मिलने के बाद कोलकाता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सर्वोच्च न्यायालय के किसी सिटिंग जज को नोटिस थमाने के अधिकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक बार फिर आरोप लगाया है कि ऊंची जाति के जज, एक दलित जज से छुटकारा पाने के लिए अपने अधिकारों का नाजायज़ इस्तेमाल कर रहे हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग ईमानदारी और निष्पक्षता से नहीं करने वाला न्यायाधीश वादियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय करता है। न्यायालय ने यह टिप्पणी भ्रष्टाचार के एक मामले को एक निचली अदालत से दूसरी में स्थानांतरित करते हुए यह टिप्पणी की।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार काे केन्द्र सरकार से सवाल किया कि कोलेजियम की सिफारिशों के बावजूद वह उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों का तबादला क्यों नहीं कर रही है। न्यायालय ने लंबित तबादलों के बारे में विस्तार से दो सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी केन्द्र को दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्राी जयललिता की मृत्यु की परिस्थितियों पर सन्देह व्यक्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने संकेत दिया है कि वह शव को समाधि से निकालने का आदेश दे सकते हैं। उन्होंने उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया जिसमें इस मामले की जांच किसी जांच आयोग या तथ्य अन्वेषण समिति से करवाने का अनुरोध किया गया है। दो सदस्यीय अवकाश पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने कहा कि जनता को पता होना चाहिए कि क्या हुआ।