केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को गरीबों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध बताते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मथुरा में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में चाचा-भतीजे की सपा सरकार राज्य को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सकती। उन्होंने भाजपा को मौका देने की अपील करते हुए पूछा कि प्रदेश की जनता कब तक बसपा के भ्रष्टाचारी शासन और सपा के गुंडाराज को झेलती रहेगी।
केरल के कोझीकोड में दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती मनाने और अपनी राष्ट्रीय परिषद के बहाने भाजपा ने मुसलमानों को भी साधने की कोशिश शुरू कर दी है। राष्ट्रय परिषद को संबोधित करते हुए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुसलमानों को वोट की मंडी का माल नहीं समझा जाना चाहिए।
भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की तीन दिवसीय बैठक शुक्रवार को केरल कोझिकोड में शुरू हो गई जिसमें महासचिव, पदाधिकारी और राज्यों के महत्वपूर्ण नेता पार्टी के गरीब समर्थक व्यापक एजेंडे एवं उरी में आतंकवादी हमले के मद्देनजर पाकिस्तान से निपटने की भविष्य की रणनीति को अंतिम आकार देने पर वार्ता कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के कई कांग्रेस नेता इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। सूबे में कांग्रेस की नैया को पार लगाने में जुटे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम की तरफ से सूबे के ही कांग्रेस नेताओं पास फोन आता है और वह उनसे ही कांग्रेस जॉइन करने को कहते हैं। अब 40 साल से कांग्रेस में ही काम कर रहे नेताओं को यह स्थिति काफी तकलीफ दे रही है।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर 'पीके' पर हमला किया है। मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी और बिहार विकास मिशन के शासी निकाय के सदस्य प्रशांत किशोर अगर राज्य में अपने कामों के प्रति न्याय नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए।
एक महिला की हत्या का प्रयास करने के आरोप में पुलिस ने दिल्ली के ओखला विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान को गिरफ्तार किया है। अमानतुल्ला आम आदमी पार्टी के दसवें विधायक हैं जिन्हें किसी आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
1937 में जब पहली बार कांग्रेस-लीग के समझौते के बाद उत्तर प्रदेश में पहली कांग्रेस सरकार चुनकर आई तो नेहरू जी मंत्रिमंडल में लीग को स्थान देने के लिए तैयार नहीं हुए थे। जिसके फलस्वरूप देश के विभाजन की नींव रखी गई थी। मेरा उद्देश्य इस सवाल को उठाना नहीं है। उससे कई और सवाल जुड़े हैं। मैं यहां संसदीय सचिव (पार्लियामेंन्ट्री सेक्रेट्री) के पद के इतिहास के बारे में बात करना चाहता हूं। यह पद ब्रिटिश सरकार की परंपरा का हिस्सा है। मैंने कहीं पढ़ा था चर्चिल भी शायद पहले संसदीय सचिव ही हुए थे। सन 1937 में जब पंडित गोविंद वल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो वह मुख्यमंत्री बने थे और विजय लक्ष्मी पंडित मंत्री बनी थीं। यदि संसद सचिवों की बात की जाए तो चौधरी चरण सिंह (जो प्रधानमंत्री बने), चंद्रभानु गुप्त (चार बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस के कद्दावर नेता थे), आचार्य जुगल किशोर (1947 में आजादी के वक्त कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्रियों में थे) समेत कई संसदीय सचिव थे। उसके बाद भी संसदीय सचिव की परंपरा मंत्रिमंडल का अंग रही। मैं स्मृति से लिख रहा हूं। केंद्र में भी यह पद था। प्रदेश में कई बड़े नेताओं ने संसदीय सचिव के पद से अपना करिअर आरंभ किया था जिनमें बाबू बनारसी दास (मुख्यमंत्री रहे), हेमवतीनंदन बहुगुणा (पूर्व मुख्यमंत्री, कैलाश प्रकाश पूर्व. शिक्षा मंत्री) आदि सम्मिलित हैं।