11वीं सदी के भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक शहर चंदेरी, जो बुंदेलों और मालवा के शासकों द्वारा बनवाया गया। ऐतिहासिक इमारतों और गुप्त, प्रतिहार, गुलाम, तुगलक, खिलजी, अफगान, गौरी, राजपूत और सिंधिया वंश द्वारा शासित रहा चंदेरी अब खास रेशमी के कपड़ों के लिए भी जाना जाता है। इससे इतर अपने कलात्मक इतिहास के कारण चंदेरी कभी सांस्कृतिक नगरी के रूप में भी जाना जाता था।
मध्य प्रदेश के देवास जिले में निवास। युवा पीढ़ी के समर्थ कहानीकार। कुशल वक्ता। मनीष की कहानियों में समाज की विडंबनाओं को लेखा-जोखा बखूबी दिखता है। परिवार और रिश्तों की कहानियों की बुनावट इतनी सघन होती है कि इस बारीकी में भी रिश्तों के नुकीले कोने चुभते से महसूस होते हैं।
मध्य प्रदेश के बाबरी गांव में जन्में बीके हिंदुस्तानी पिता जी की नौकरी की वजह से भिलाई के छत्तीसगढ़ में रहे। वहीं पढ़ाई की और उसे ही अपना कर्मक्षेत्र बनाया। लेकिन जब अपने जन्म स्थान लौटे तो कुछ अलग करने के जज्बे के साथ।
अमर प्रेम के प्रतीक स्मृतियों की प्रतिध्वनी ऐतिहासिक महलों से निकलकर जब मंच से गूंजती है, तो वह अपने दीर्घ अनुभवों के प्रकाट्य स्वर बनकर आयोजन की सार्थकता को सिद्ध करती हैं।
शादी से भी जरूरी हो गया है, महिला संगीत। शादी में डीजे यानी डिस्क जॉकी की मुसीबत रहती है। ‘मेरा वाला गाना’ का शोर हर तरफ होता है। पर लगता है मध्य प्रदेश के भोपाल में शायद यह अब नहीं हो पाएगा।
मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले का खुलासा करने वाले प्रमुख कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय और उनकी हमपेशा पत्नी के विवादास्पद तबादले के मामले में प्रदेश सरकार ने आज यू टर्न लेते हुए इस दंपति के स्थानांतरण आदेश वापस ले लिए।
झीलों के शहर से हिंदी की सुरलहरी की अनुगूंज विश्व भर में गूंजी। देश-विदेश से आए लोग इस दिवस का हासिल है। साक्षीजनों के बीच से जो संदेश निकलकर आया, उसके अर्थ और निमित्त बहुत ही दूरगामी है।
‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।