‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
घने जंगलों के बीच बसा है मध्यप्रदेश का एक गांव उमरावन। जिसे अब उजाड़ा जा रहा है। गांववासियों के विस्थापन के लिए प्रशासन ने बिजली काट दी है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ गांववासी स्याह अंधेरे में रहने को मजबूर हैं।
मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ का यह मुर्गा कोई आम मुर्गा नहीं है। आप इसे देसी वियाग्रा भी कह सकते हैं। चटख काले रंग के इस मुर्गे की मांग पाकिस्तान तक बताई जाती है। विलुप्त हो रही इस दुलर्भ प्रजाति का मांस बहुत सी बीमारियों को जड़ से खत्म करता है। यहां बात हो रही है कड़कनाथ मुर्गे की।
व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
इस समय देश में चारों ओर मध्यप्रदेश के व्यापम घोटाले को लेकर शोर है। कांग्रेस इसे लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है वहीं सरकार के आला नेता व्यापम को लेकर चुप हैं। मंगलवार को सोशल मीडिया पर भी #ShavrajYatra हैशटैग ट्रैंड करता रहा। इसे लेकर ट्वीट करने वालों ने तीखे कमेंटस् दिए।
मध्य प्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां खुले में शौच बंद करवाने का एक नायाब तरीका ढूंढा गया है। राज्य के गाडरवाड़ा गांव में अब कोई भी खुले में शौच जाने की हिमाकत नहीं करता है। अगर कोई भूले-भाले चला भी गया तो बाल कमांडो की टीम सीटी बजा-बजाकर कर उसका बैठना मुश्किल कर देती है।