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गो हत्‍या पर पिटाई : गुजरात में 15000 दलित बौद्ध धर्म अपनाने को तैयार

गो हत्‍या पर पिटाई : गुजरात में 15000 दलित बौद्ध धर्म अपनाने को तैयार

गुजरात में गो हत्‍या पर दलितों की पिटाई का मामला शांत होता नहींं दिख रहा है। ऊना में दलितों की पिटाई के बाद राज्‍य के बनासकांठा जिले के 15 हजार दलितों ने धर्म बदलने की धमकी दी है। उनका कहना है कि अगर जल्‍द स्थिति नहीं सुधरी तो वह बौद्ध धर्म को अपना लेंगे।
गुजरात में दलित पिटाई का मामला : सीआईडी ने कहा, गाय को शेरों ने मारा

गुजरात में दलित पिटाई का मामला : सीआईडी ने कहा, गाय को शेरों ने मारा

गुजरात पुलिस ने कहा है कि राज्य के उना कस्बे में जिस गाय की खाल उतारने को लेकर कथित गोरक्षकों द्वारा दलितों की बर्बर पिटाई की गई थी, उसे शेरों ने मारा था। दलितों की पिटाई की इस घटना की चौतरफा निंदा हुई है। उना तालुक के मोटा समधियाला गांव के निकट दलितों की निर्मम ढंग से पिटाई के मामले की जांच कर रहे सीआईडी-अपराध विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से उनको पता चला है कि गाय को 10 और 11 जुलाई की दरम्यानी रात में शेरों ने मारा था।
कसूर बस इतना कि दलित था और सवर्ण लड़की से प्रेम कर बैठा

कसूर बस इतना कि दलित था और सवर्ण लड़की से प्रेम कर बैठा

झूठी शान की खातिर हत्या करने के एक संदिग्ध मामले में नवी मुंबई में एक सवर्ण लड़की के परिवार वालों ने 16 साल के एक दलित लड़के की कथित तौर पर हत्या कर दी। लड़का सवर्ण लड़की से प्रेम करता था। पुलिस ने गुरुवार को बताया कि मामले के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 17 साल की लड़की को भी हिरासत में लिया गया है।
कुंभ स्‍नान के बाद शाह का आज बनारस में दलितों के साथ समरसता भोज

कुंभ स्‍नान के बाद शाह का आज बनारस में दलितों के साथ समरसता भोज

भाजपा समाज के सभी वर्गों का समर्थन हासिल करने के लिए तरह तरह के जुगत लगा रही है। उसे लगता है कि सवर्ण उसके साथ हैं। लिहाजा वह पिछड़ी जाति पर अब डोरे डाल रही है। उज्‍जैन में पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह ने दलित साधुओं के साथ कुंभ स्‍नान किया और संतों के साथ भोजन किया।
ट्रेन से कीजिए भारत दर्शन, एक दिन का किराया 830 रुपए

ट्रेन से कीजिए भारत दर्शन, एक दिन का किराया 830 रुपए

भारतीय रेलवे ने तीर्थयात्रियों को बड़ी सुविधा देते हुए भारत दर्शन ट्रेन की शुरुआत की है। यह ट्रेन दर्शनार्थियों को शिरडी, तिरुपति, जगन्‍नाथपुरी, गंगासागर, बैद्यनाथ धाम और ज्‍योर्तिलिंगों की सैर कराएगी।
अंगूरी भाभी ने ‘घर’ छोड़ दिया!

अंगूरी भाभी ने ‘घर’ छोड़ दिया!

गजब हो गया है। विभूति जी और लड्डू के भैया की तो छोड़िए जो सुन रहा है वही दुखी है। भाभीजी घर पर हैं की भाभी यानी अंगूरी ने अपना घर यानी धारावाहिक छोड़ दिया है। पंगा कहीं और काम को लेकर हुआ है ऐसा बताया जा रहा है।
स्त्री और सृष्टि को रेखांकित करती कविताएं

स्त्री और सृष्टि को रेखांकित करती कविताएं

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के मलवाणा गांव में 26 जनवरी 1962 को किसान परिवार में जन्म। लेखन के साथ—साथ जन संगठनों में भागीदारी। हंस, वसुधा, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, पाखी, बया, कथाक्रम, आधारशिला, विपाशा और अमर उजाला आदि में कहानियां प्रकाशित। कुछ कहानियों और कविताओं का अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी और मलयालम में अनुवाद। आकाशवाणी और दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण। दो कहानी संग्रह बाणमूठ और पहाड़ पर धूप नाम से कहानी संग्रह प्रकाशित। हंस में प्रकाशित कहानी बाणमूठ पर वर्ष 2009 का प्रतिष्ठित रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार। बाणमूठ कहानी संग्रह पर 2012 का अखिल भारतीय सेतु साहित्य पुरस्कार। हिमाचली लोकनाट्य बांठड़ा पर पुस्तक प्रकाशित। कहानी बाणमूठ और मुट्ठी भर धूल पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा देश के विभिन्न शहरों में नाटकों का मंचन। मेघदूतम नाट्य अकादमी मुंबई की ओर से कहानी शापित गांव की प्रेम कथा का बिहार के सुपौल जिले में नाट्य मंचन।
कहानी: श्यामल सखी तेरी

कहानी: श्यामल सखी तेरी

किशोर चौधरी रेडियो में काम करते हैं और जिंदगी की कहानियां लिखते हैं। चौराहे पर सीढ़ियां बहुत ही चर्चित कथा संग्रह रहा है। उसके बाद धूप के आइऩे में और जादू भरी लड़की को बहुत प्रशंसा प्राप्त हुई। उनकी भाषा और कहानी को बुनने का तरीका उनकी कहानियों को खास बनाता है। उनके तीनों कहानी संग्रह हिंद युग्म से प्रकाशित हुए हैं।
कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ी, कमजोर पड़ा आंदोलन

कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ी, कमजोर पड़ा आंदोलन

गुर्जर आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा लेकिन आंदोलन के नेता कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ने और केंद्र से अर्धसैनिक बल की तीन कंपनियां भेजने के बाद यह आंदोलन अब कमजोर पड़ता दिख रहा है।
गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

गहरे हैं रंग ' कैनवास पर प्रेम ' के

विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास 'कैनवास पर प्रेम ' के नाम ने आकर्षित किया था। नाम से कहानी का जो कुछ अंदाजा होता है वह ठीक-ठीक होते हुए भी उससे बहुत अलग भी है।