नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते चंद्र कुमार बोस आज भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में वह भाजपा में शामिल हुए।
कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 23 जनवरी का दिन तय किए जाने की आलोचना करते हुए सरकार से मांग की है कि फाइलों को तत्काल सार्वजनिक किया जाए।
केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज यहां कहा कि केंद्र अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने पर कोई निर्णय करेगा।
सोमवार रात योगेंद्र यादव और उनके स्वराज अभियान के साथियों की जंतर मंतर से की गई गिरफ्तारी की शैली पर आज दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने इस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोक कर गिरफ्तार करने और नाजायज तरीके से बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए देर तक बिलावजह हिरासत में रखने पर पुलिस पर सख्त टिप्पणी की।
सौर उर्जा की लागत कम करने के लिए प्रतिष्ठित एस एन बोस इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंसेज के शोधकर्ता ऐसा विचार लेकर आए हैं, जिसके जरिये सौर पैनलों के निर्माण के लिए सिलिकॉन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
याकूब की फांसी पर संशय बरकरार। राष्ट्रपति द्वारा बुधवार को दया याचिका खारिज करने के बाद कई वकील गुरूवार सुबह याकूब को होने वाली फांसी पर रोक लगाने के लिए देर रात मुख्य न्यायाधीश के घर पहुंचे। आधी रात को सुप्रीम कोर्ट फिर से खोला गया। मामले की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश ने तीन जजों की बेंच गठित की है।
आम आदमी पार्टी से निकाले जा चुके नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल पर जम कर बरसते हुए उन्हें बेशर्म और कपटी कहा। दरअसल, इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री ने योगेन्द्र यादव के साथ इस मानवाधिकार कार्यकर्ता वकील के पार्टी में लौटने की स्थिति में खुशी होने की बात कही थी।
यदि दिल ऐसे ही धड़कता है तो फिर भगवान ही बचाए। जोया अख्तर (निर्देशक) यदि इस फिल्म का नाम दिमाग बंद रहने दो रखतीं तो एकदम बढ़िया रहता। जोया को समझना चाहिए कि कलाकारों का जमघट भर लगा देने से कोई फिल्म हिट नहीं हो जाती।
भारत में मीडिया, जनमत और धारणाएं मैनेज की अपनी काबिलियत से यह सरकार अभिभूत हो गई दिखती है। इतना कि अपनी महान क्षमताओं के कल्पना-लोक में मदोन्मत्त विचरती वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया या फिर भारत के लिए दशकों से शूल बने पड़ोसी देश के फौजी प्रतिष्ठान को अपने बड़बोलेपन और धौंस-पट्टी से ही प्रभावित कर लेना चाहती है।
बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंड पीठ के सामने जिस तरह सरकार और पीठ के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, उसे देखते हुए अब तक फुसफुसाए जा रहे कुछ सवाल थोड़ा ज्यादा जोर से सुनाई पडऩे लग गए हैं। क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही हैं? क्या संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित करने में हड़बड़ी दिखाई ?