उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में शुक्रवार को एक लड़की से कथित रूप से छेड़छाड़ के बाद दो पक्षों में हिंसक संघर्ष और गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग घायल हो गए। इस संबंध में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है।
लोकसभा-राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम पर सरकार ने जनता से राय मांगी है। इस पर राजनीतिक हलकों में ज्यादा उत्साह नहीं हैं। बहुत सारे राजनीतिक दलों ने इसे अव्यवहारिक करार दिया है। लोकसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि यह अव्यवहारिक है। यह किस तरह होगा?
क्या लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना वांछित है। इस सवाल के साथ-साथ सरकार ने इसी मुद्दे से जुड़े अन्य कई सवालों को अपनी वेबसाइट माईगोव डॉट कॉम पर पोस्ट किया है ताकि वह आम जनता समेत सभी लोगों के विचार जान सके। इस मुद्दे पर अपने विचार देने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।
केंद्र सरकार जनता को एक और अधिकार देने जा रही है। जनता को अब पद्म पुरस्कारों के लिए किसी भी हस्ती और लब्धप्रतिष्ठ के नाम की सिफारिश करने का अधिकार मिलने वाला है। संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहली बार जनता को ये अधिकार मिल रहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि देश सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है और सरकार इन बैंकों को मजबूत बनाने के काम को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है। जेटली ने यह भी कहा कि आईडीबीआई बैंक को छोड़कर बाकी सरकारी बैंकों का सार्वजनिक स्वरूप बना रहेगा।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने के लिए पिछले 16 साल से संघर्षरत र्इरोम शर्मिला चानू ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ दिया। इंफाल की अदालत में इरोम द्वारा अनशन तोड़ने की सूचना देने के बाद उन्हें जमानत दे दी।
मणिपुर की लौह महिला इरोम चानू शर्मीला कल मंगलवार की सुबह अपना 16 साल से जारी उपवास तोड़ेंगी। सैन्य बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल पहले उन्होंने उपवास शुरू किया था।
मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) की आड़ में सेना के कथित अत्याचारों के खिलाफ पिछले 16 सालों से अनशन पर रहकर विरोध कर रहीं इरोम शर्मिला अपना अनशन खत्म करेंगी। उन्होंने अपना विरोध जारी रखते हुए अगले साल राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा की है।