राजस्थान के स्कूली पुस्तकों से जवाहर लाल नेहरू का संदर्भ हटाए जाने को लेकर छिड़े विवाद के बीच देश के प्रथम प्रधानमंत्री का नाम अब मुंबई विश्वविद्यालय की एमए की एक पुस्तक से भी गायब हो गया है।
जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, तब से गाय माता अचानक से लाइम लाइट में आ गई हैं। पर्यावरण मंत्रालय गाय पर एक दिवसीय कार्यक्रम कर रहा है। राजस्थान में भी गाय पर कार्यक्रम हो रहा है।
देश पानी के भीषण संकट से गुजर रहा है। मराठवाड़ा के हालात पर हर दिन चर्चा हो रही है। सुरक्षा बल के साथ वहां पानी की ट्रेन भेजी गई और कई लोग पूरे दिन में सिर्फ एक गिलास पानी पर रहने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश में पानी हर साल संकट और तबाही का कारण बनता रहा है। किसी साल बाढ़ तो किसी साल सूखे की त्रासदी झेलने को मजबूर उार प्रदेश में गर्मी का मौसम शुरू होते ही 50 जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो दशकों में कभी भी मार्च के अंत और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ऐसे विकराल रूप में सूखा नहीं पड़ा। उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त की मानें तो राज्य के पचास जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। ऐसे 21 जिले हैं जिसमें किसानों को 33 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है। जहां तक सूखा पीड़ित क्षेत्रों के किसानों को सरकारी मदद का सवाल है, यह मदद उन्हीं किसानों को दी जाएगी जिनकी 33 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट हुई है। अभी मई और जून की भीषण गर्मी के दिनों में और भी जिलों के सूखा प्रभावित होने आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के बीच जिलों में पानी के स्रोत सूख चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति भूगर्भ जल स्तर के औसतन छह से नौ फुट तक नीचे जाने के कारण उत्पन्न हुई है। इन जिलों के डेढ़ हजार से अधिक कुओं का जलस्तर न्यूनतम होने के कारण कुएं सूख गए हैं। 80 प्रतिशत से अधिक हैंडपंप सूख चुके हैं।
मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड से अधिक सुंदर पर्वतीय क्षेत्र, विविधता की संस्कृति, भोली भाली संघर्षशील जनता संपूर्ण विश्व में अदभु,त है। स्विट्जरलैंड से कई गुना बेहतर हिम शृंखला हिमालय में है। आजादी के बाद इस क्षेत्र को आवश्यकता और आकांक्षाओं के अनुरूप आर्थिक प्रगति के लाभ नहीं मिले। उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहने पर उत्तराखंड के लोगों को रोजगार सहित विभिन्न सुख-सुविधाओं की कमी खलती रही। इसीलिए बड़े संघर्ष के बाद उत्तराखंड को छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ अलग राज्य का दर्जा मिला।
तृणमूल घूसकांड को लेकर ममता बनर्जी क्राइसिस मैनेजमेंट में जुट गई हैं। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी में दरार दिखने लगी है। नेताओं के एक वर्ग की नाराजगी उभर आई है। बंगाल में तृणमूल के नेताओं के बीच असंतोष न भड़के उसके लिए पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने निजी तौर पर नेताओं से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को उन्होंने कोलकाता से दिल्ली भेजा है।
प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियों और मुश्किलों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अभी आगे बढ़ने में कामयाब है। यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही। भारतीय उद्योगपतियों की दुबई आयोजित एक सभा में जेटली ने कहा कि पहले आर्थिक संकट 10-15 साल में एक बार असर दिखाते थे, लेकिन अब ये जल्दी जल्दी आने लगे हैं।
गाय को पवित्र कब से माना गया और क्यों माना गया, यह व्यापक विवाद और विमर्श का विषय है। इस बात पर भी भयंकर मतभेद है कि प्राचीन सभ्यताएं गोमांस को स्वीकृति देती थीं और भारत के आदिकालीन निवासी अपने खान-पान में उसे शामिल करते थे। आर्ष ग्रंथों में आई उन बातों को भी अब कोई नहीं सुनता है कि किसी जमाने में गौमेध यज्ञ भी हुआ करते थे। अब जब गाय को पवित्र मान कर उसे मां का दर्जा दे ही दिया गया है और उसे आस्था की वस्तु बनाकर आलोचना से परे रख दिया गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाईश रही ही कहां है। अब तो ‘वन्दे धेनुमातरम‘ और ‘जय गोमाता‘ कहो, गोकथा कराओ, गोदूध महोत्सव मनाओ, गोशाला चलाओ, गोमंदिर बनाओ, गोकुल धाम निर्मित करो और गोअनुसंधान एवं गोरक्षा के नाम पर तरह-तरह के संगठन और सेनाएं बनाकर जमकर हंगामा मचाओ। आज गाय के नाम पर सब कुछ जायज है क्योंकि गाय हमारी माता है, गाय की रक्षा करना हमारा धर्म है, यह पुण्य का काम है।