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पहलाज हो या प्रसून, फिल्म में कट तो लगेंगे

पहलाज हो या प्रसून, फिल्म में कट तो लगेंगे

‘अलीगढ़’ फिल्म में एक कट लगाने को लेकर हंसल मेहता ने चिल्ला-चोट की थी। अब उन्‍हीं हंसल मेहता ने अपनी आने वाली फिल्म ‘सिमरन’ के दस कट को आसानी से मान लिया है।
फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

फिल्म समीक्षा : दाउद वर्सेज डैडी

मुंबइया फिल्म उद्योग का पसंदीदा विषय है, गैंगवार, गैंगस्टर, भाई लोग। घूम फिर कर निर्माता-निर्देशक हर कुछ साल में इस विषय पर आ ही जाते हैं।
पत्नी की हत्या कर शव के टुकड़े फ्रीजर में रखने वाले इंजीनियर को उम्रकैद

पत्नी की हत्या कर शव के टुकड़े फ्रीजर में रखने वाले इंजीनियर को उम्रकैद

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी सात साल पहले 2010 में राजेश ने अपनी पत्नी अनुपमा की बेरहमी से हत्या कर दी थी। हत्यारे पति ने लाश के कई टुकड़े कर उसे दो महीने तक फ्रीजर में छिपा के रखा था।
अनुपम खेर बनेंगे द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

अनुपम खेर बनेंगे द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर

अनुपम खेर ज्यादा बोलते हैं इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि वह लगभग चुप रहने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भूमिका नहीं निभा सकते। अनुपम अच्छे कलाकार हैं और उनका फिल्म से लेकर मौजूदा सरकार तक बराबर दखल है। शायद यही वजह है कि ऐन आम चुनाव से पहले एक घोर राजनैतिक फिल्म में पूर्व प्रधानंमत्री की भूमिका निभाएंगे।
लेखिका कंगना

लेखिका कंगना

कंगना रणौत आने वाली फिल्म सिमरन में लीड रोल तो करेंगी ही साथ ही उनका नाम सह पटकथा लेखक के रूप में जाएगा। निर्देशक हंसल मेहता ने तय किया है कि वह कंगना को लेखिका के तौर पर भी नाम देंगे।
शेयर घोटाला: हर्षद मेहता को फायदा पहुंचाने वाले चार पूर्व बैंक अफसरों को सजा

शेयर घोटाला: हर्षद मेहता को फायदा पहुंचाने वाले चार पूर्व बैंक अफसरों को सजा

मुम्बई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने हर्षद मेहता से जुड़े प्रतिभूति घोटाले में 25 साल बाद एक मामले में चार पूर्व बैंक अधिकारियों को मुजरिम करार दिया और उन्हें तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनायी है।
जनता के मौन का खतरा भी

जनता के मौन का खतरा भी

भारतवासी अपने संस्कार और हजारों वर्षों की परंपरा से धैर्यवान हैं। जीवन में कठिनाइयों से जूझना, श्रम के साथ प्रकृति-ईश्वर के प्रति आस्था। रखना उनके स्वभाव में है। इसलिए आर्थिक क्रांति की तरह सरकार द्वारा रातों-रात एक हजार और पांच सौ के नोटबंदी के फैसले पर देश के विभिन्न भागों में गंभीर समस्याओं, लंबी पंक्तियों, बीमारी के इलाज, असामयिक मृत्यु, विवाह में बाधाओं के बावजूद हिंसक घटनाएं नहीं हुई। सरकार ने इस धैर्य और मौन को निर्णय का व्यापक समर्थन एवं स्वीकृति करार दिया है।
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