भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड क्रिकेट में सुधार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना अंतरिम आदेश सुनाया। इस मामले में अब आगे की सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने बीसीसीआई को राज्य संघों को फंड देने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि जब राज्य संघ हलफनामा देंगे, तब उन्हें बीसीसीआई फंड जारी कर सकता है।
परिजन और निकट के रिश्तेदारों द्वारा यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के बीच राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने पॉक्सो ई-बॉक्स पहल शुरू की है जिसके जरिये पीड़ित बच्चे अपनी शिकायत सीधे आयोग तक पहुंचा सकते हैं।
केंद्र सरकार महिला अधिकारों के आधार पर एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी और इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाते हुए भारत ने कहा है कि पाकिस्तान ऐसा देश है जो अपने ही लोगों के खिलाफ आतंकवाद फैलाता है और बलूचिस्तान के लोगों का दुख-दर्द इसकी पूरी दास्तान बयान करता है।
ओडिशा में एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से बीवी के शव को 12 किलोमीटर तक ढोने वाले दाना मांझी नौ लाख का चेक लेने ओडिशा से दिल्ली विमान से आए। उन्हें बहरीन दूतावास ने बुलाकर अपने शेख की तरफ से भिजवाया हुआ 8.87 लाख का चेक दिया।
ओडि़शा के बालेश्वर जिले में एक वृद्ध महिला के शव के साथ अमर्यादित व्यवहार कर अपने कर्तव्य का उचित निर्वहन नहीं करने के मामले में राजकीय रेल पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) को निलंबित कर दिया गया।
एंबूलेंस नहीं देने के बाद ओडिशा के कालाहांडी में पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक कंधे पर ढोने के मामले पर अभी भी बहस जारी है, इसी बीच इसी तरह का एक और प्रकरण सामने अाया है। राज्य के बालासोर में अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिलने के बाद महिला के मृत शरीर की हड्डियां तोड़ उसकी गठरी बनाकर बांस के डंडे और मजदूरों के जरिये उसे ढोकर स्टेशन तक पहुंचाया गया।
मध्यप्रदेश में जबलपुर के पनागर के बिहर गांव में मानवता को शर्मसार करनेे वाला मामला सामने आया है। जिसके बाद भाजपा शासित इस राज्य की सामाजिक समरसता पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। गांव में एक दबंग ने अपनी जमीन से शवयात्रा ले जाने की अनुमति नहीं दी। मजबूरन लोगों को तालाब के बीच चार फीट पानी से शव को श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा। मुसबीत यहीं कम नहीं हुई बल्कि लोग जब श्मशानघाट पहुंचे तो वहां पर सरकार की जमीन पर धान बोया गया था। नतीजन शव का अंतिम संस्कार निजी जमीन पर किया गया।
भुवनेश्वर के पिछड़े जिले कालाहांडी में एक आदिवासी व्यक्ति को अपनी पत्नी के शव को कंधे पर लेकर करीब 10 किलोमीटर तक चलना पड़ा। उसे अस्पताल से शव को घर तक ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली। व्यक्ति के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी।